बता दे कि ई-मैगज़ीन में संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (एसडीजी) का एक अनूठा तत्व है| इसमें विशेष रूप से क्वालिटी एजुकेशन और लैंगिक समानता पर ख़ास जोर दिया गया है| साथ ही राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करने के साथ-साथ स्टूडेंट्स ने इन पत्रिकाओं में एसडीजी पर अपनी राय भी साझा की है।
इस मौके पर उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने स्टूडेंट्स के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “स्कूल एक ऐसी जगह है जहां स्टूडेंट्स को जिन्दगी जीने की लर्निंग मिलती है। उन्होंने कहा कि एक सरकार के रूप में, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसी पहल को बढ़ावा दे जो स्टूडेंट्स के सर्वांगीण विकास में सहायता करें और उन्हें भविष्य के लिए विज़न प्रदान करें। हमारे सामने सबसे बड़ा काम यह है कि हम अपने छात्रों को भावनात्मक रूप से मजबूत होने के लिए तैयार करें और उन्हें उस दुनिया के लिए तैयार करें जो टेक्नोलॉजी के कारण तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि इस ई-पत्रिका के माध्यम से, हम अपने छात्रों की प्रतिभा को पहचानने, उनके विचारों, उपलब्धियों और क्रिएटिविटी को डॉक्यूमेंटेड करने का अवसर देना चाहते है| ताकि भविष्य में इन बच्चों के लिए कोई कार्यक्रम तैयार करते समय इसके माध्यम से उनकी जरूरतों को पहचाना जा सकें|
श्री सिसोदिया ने आगे कहा कि स्कूल ई-मैगज़ीन में एसडीजी को शामिल करना संयुक्त राष्ट्र के विज़न को समझने का एक तरीका है। इन लक्ष्यों को समझना हमारे छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमारे छात्रों को वैश्विक चुनौतियों के बारे में जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता है और उन्हें दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए प्रेरित करता है। पत्रिका का उद्देश्य एक ऐसी प्रक्रिया शुरू करना है जहां स्टूडेंट्स एसडीजी के मूल्य और उद्देश्यों के प्रति जागरूक हो सकें तथा अपने इनपुट दे सकें| आगे जाकर समाज और दुनिया में सुधारात्मक परिवर्तन लाने के लिए उनके इनपुट महत्वपूर्ण साबित होंगे।
बता दे कि इस ई-मैगज़ीन का उद्देश्य एक ऐसा लर्निंग प्रोसेस शुरू करना है जहां स्टूडेंट्स अपनी छिपी क्षमता का एहसास करें और विश्व स्तर पर सोचने का प्रयास करे। मैगज़ीन बनाने की प्रक्रिया के दौरान, स्टूडेंट्स ने एक एडवाइजरी बोर्ड और संपादकीय बोर्ड बने तथा कई भूमिकाओं में सक्रिय भागीदारी निभाई| इस प्रक्रिया के माध्यम से, स्टूडेंट्स अपने विचारों को व्यक्त करके अपनी क्षमता और रचनात्मकता का प्रदर्शन करने में और अधिक सक्षम हुए।
सरकार की योजना अगले चरण में ई-मैगज़ीन की इस पहल को दिल्ली सरकार के 30 अन्य स्कूलों में ले जाने की है।