दिल्ली यूनिवर्सिटी ने दिल्ली कमेटी से छीना सिख अल्पसंख्यक छात्रों को दाखिला पात्रता सर्टिफिकेट जारी करने का एकाधिकार

दिल्ली यूनिवर्सिटी के गलत और एकतरफा फैसले को पलटाने के लिए हम अपनी पूरी ताकत लगा देंगे: जीके
नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के 4 खालसा कॉलेजों में सिख छात्रों को प्रवेश के लिए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा जारी किए जाते “सिख अल्पसंख्यक छात्र” प्रमाण पत्र देने के एकाधिकार को दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा छीने जाने का मामला गर्मा गया है। जागो पार्टी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस फैसले का कड़ा विरोध करने का ऐलान किया है। जीके ने इस संबंध में अपने फेसबुक पेज पर लाइव होते हुए कहा कि मेरी अध्यक्षता में 2015 में खालसा कॉलेजों में 50 प्रतिशत सिख कोटा स्थापित किया गया था। तब हम तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली को भरोसे में लेकर यह बड़ा फैसला लेने में कामयाब रहे थे। जिसके बाद खालसा कॉलेजों में सिखों को 50 प्रतिशत आरक्षित सीटों पर प्रवेश के अधिकार के साथ ही इसकी पात्रता पूरा करने वाले सिख बच्चों को प्रमाण पत्र जारी करने का विशेष अधिकार दिल्ली कमेटी को मिला था। लेकिन अब दिल्ली कमेटी प्रबंधकों की लापरवाही के कारण सिख कोटे की इन आरक्षित सीटों पर ‘पतित’ सिख बच्चों के प्रवेश का रास्ता खुल गया है। क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय ने सिख अल्पसंख्यक के प्रमाण पत्र को जारी करने के दिल्ली कमेटी के एकाधिकार को खत्म करते हुए सभी सरकारी संस्थानों को यह प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार दें दिया है। इसलिए हम इस गलत और एकतरफा फैसले को पलटाने की पूरी कोशिश करेंगे।
जीके ने कहा कि पहले ये प्रमाण पत्र दिल्ली कमेटी कार्यालय से पगड़ी बांधने वाले साबत सूरत (पूर्ण गुरसिख) परिवारों के केवल पगड़ी पहनने वाले सिख लड़कों तथा चुन्नी से अपना सिर ढककर आने वाली सिख लड़कियों को गुरबाणी और सिख इतिहास के बारे में सवालों के जवाब देने के बाद जारी किए जाते थे। लेकिन अब सिख परिवार में जन्म लेने वाला कोई भी बच्चा दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग या किसी अन्य सरकारी संस्था से अपने सिख होने का प्रमाण प्राप्त बनवा करके खालसा कॉलेज में सिख कोटे की सीट पर दाखिला ले सकता है। यह नियम दिल्ली विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक सत्र 2023-24 के दाखिले के लिए लागू कर दिया है। इसके साथ ही टोपी पहनने वाले या बाल कटवाने वाले सिख बच्चों को अब खालसा कॉलेज प्रवेश देने से मना नहीं कर पाएंगे। इस वजह से अब आप खालसा कॉलेजों में सिख परिवारों के बच्चों को सिख कोटे में टोपी और चुटिया के साथ दाखिला लेते हुए भी देख सकते हों। जबकि इससे पहले सिख कोटे में दाखिला लेने के चक्कर में न जाने कितने बच्चे और उनके बाप वापस सिख धर्म में आ गए थे।
जागो पार्टी के मुख्य महासचिव डॉ. परमिंदर पाल सिंह ने कहा कि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य स. अजितपाल सिंह बिंद्रा को शायद पता नहीं होगा कि उन्होंने बहुत बड़ी गलती कर दी है। क्योंकि इसके बाद अगला निशाना “गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी” में सिख कोटे की सीटें हो सकती हैं। बिंद्रा की जिम्मेदारी संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 के तहत सिख शिक्षण संस्थानों को मिलें अतिरिक्त अधिकारों की रक्षा करने की थी। लेकिन दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग लगातार सिख शिक्षण संस्थानों के अधिकारों को कुचलने का काम कर रहा है। पहले आयोग ने खालसा विद्यालयों के मैनेजर की योग्यता की संविधान विरोधी परिभाषा दी थी और अब सिख कोटे की सीटों पर प्रवेश की पात्रता तय करने का अधिकार सरकार को दे दिया है। जबकि आयोग के पास मुस्लिम और ईसाई बच्चों को प्रवेश के लिए पात्रता प्रमाण पत्र देने का अधिकार नहीं है, इसलिए सिख बच्चों को प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार कैसे लिया जा सकता है? इस मौके पर दिल्ली कमेटी सदस्य सतनाम सिंह खालसा मौजूद रहे।
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