लाल मिर्च की खेती से 2500 किसान लखपति

हरी मिर्च का भाव 30 रुपए किलो है। मिर्च को सुखाने के बाद लाल सूखी मिर्च 300 रुपए किलो बिकती है। राजस्थान का सवाई माधोपुर, रणथंभोर नेशनल पार्क के लिए जाना जाता है। पर यहां की लाल मिर्च भी देशभर के जायके को लजीज बनाती है।

म्हारे देस की खेती में इस बार बात सवाई माधोपुर जिले के मिर्च किसानों की…

सवाई माधोपुर की खंडार तहसील के छाण गांव समेत बहरावंडा, मई, गोठड़ा, बहरावंडा कलां, सिंगोर, अक्षयगढ़, रेडावद, वीरपुर, क्यारदा, नायपुर और बरवाड़ा बेल्ट के कुछ गांवों में इन दिनों धरती पर लाल कालीन बिछा मिलता है। मार्च की धूप तीखी होने लगी है। जहां नजर जाती है, वहां इन गांवों में लाल मिर्च सूखती नजर आती है।

खंडार का छाण गांव लाल मिर्च के लिए इतना फेमस हो चुका है कि यहां अलग से मिर्च मंडी की स्थापना की गई है। देश के कई शहरों से व्यापारी यहां ट्रक व ट्रैक्टर लेकर आते हैं और सूखी लाल मिर्च भरकर ले जाते हैं। इस वजह से यहां से गुजरने वाले स्टेट हाईवे पर जाम लगना आम बात रही है।

25 साल से मिर्च ही उपजा रहे किसान

गांव में सूखी मिर्च समेटते एक युवा किसान अताउल्लाह खान ने बताया- हम 25 साल से मिर्च की खेती कर रहे हैं। एक बीघा में मिर्च का अच्छा उत्पादन हुआ। ढाई से तीन लाख की मिर्च हो गई है। अताउल्ला खान के पास 4 बीघा की खेती है।

छाण गांव में आजादी के पहले से ही मिर्च की खेती होती रही है। ऐसे में इलाके के हर गांव में हर किसान घर में मिर्च एक्सपर्ट मिल जाते हैं। यहीं के एक किसान अकबर अली ने बताया- हमारा परिवार 3 दशक से मिर्च की खेती कर रहा है। 3 बीघा में बोई थी, उपज 4 लाख तक बिकी है। हम मिर्च की पौध लगाते हैं। एक पौधे से 4 बार फसल मिलती है। दो बार अच्छी उपज मिलती है, फिर दो बार ठीक-ठाक मिर्च निकलती है।

 

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