तीन तलाक का इस्लाम से संबंध नहीं: एक घर दो कानून से नहीं चल सकता : PM MODI

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल में कहा- तीन तलाक से इस्लाम का कोई संबंध नहीं है। इसकी वकालत करने वाले वोट बैंक के भूखे हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भड़का रहे हैं। एक घर दो कानूनों से नहीं चल सकता। यूनिफॉर्म सिविल कोड पर ‌‌BJP भ्रम दूर करेगी। बिहार में विपक्षी दलों की बैठक पर कहा- इन सभी दलों के घोटालों को मिला दिया जाए, तो 20 लाख करोड़ के घोटाले की गारंटी है।

प्रधानमंत्री भोपाल में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में इसी साल होने वाले विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने आए थे। मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में मेरा बूथ, सबसे मजबूत अभियान के तहत 543 लोकसभाओं के 10 लाख और मध्यप्रदेश के 64,100 बूथ के कार्यकर्ताओं को डिजिटली संबोधित किया।

यहां सभी राज्यों के विधानसभा क्षेत्रों से 3 हजार कार्यकर्ता भी मौजूद रहे। PM ने भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से देश में 5 नई वंदे भारत ट्रेन की भी शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने 1 घंटा 52 मिनट BJP कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उनके संबोधन की खास बात यह रही कि पहली बार उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा पूछे गए सवालों का विस्तार से जवाब देते हुए अपनी बात कही।

जो भी तीन तलाक के पक्ष में बात करते हैं, वकालत करते हैं, ये वोट बैंक के भूखे लोग मुस्लिम बेटियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रहे हैं। तीन तलाक से नुकसान का दायरा बड़ा है। बहुत अरमानों से पिता अपनी बेटी को ससुराल भेजता है। 8-10 साल बाद बेटी वापस आती है, तो उसका भाई, पिता सब उसकी चिंता में दुखी हो जाता हैं। तीन तलाक का इस्लाम से संबंध होता तो दुनिया के मुस्लिम बहुल्य देश इसे खत्म नहीं करते। मिस्र में 90% से ज्यादा सुन्नी मुस्लिम हैं। 80-90 साल पहले वहां तीन तलाक की प्रथा समाप्त हो चुकी है।

अगर तीन तलाक इस्लाम का जरूरी अंग है, तो पाकिस्तान, इंडोनेशिया, कतर, जॉर्डन, सीरिया, बांग्लादेश में क्यों नहीं है। मुस्लिम बेटियों पर तीन तलाक का फंदा लटकाकर कुछ लोग उन पर हमेशा अत्याचार करने की खुली छूट चाहते हैं। इसीलिए मेरी मुस्लिम बहनें, बेटियां भाजपा और मोदी के साथ हैं। आज हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के सदस्य के लिए एक कानून हो, परिवार के दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो क्या वो घर चल पाएगा?

फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा। भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट कह रही है कि कॉमन सिविल कोड लाओ।

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