गाजियाबाद
गाजियाबाद के इंदिरापुरम के पीपी ज्वेलर्स के शोरूम पर बिना हॉलमार्क सोना बेचा जा रहा था। भारतीय मानक ब्यूरो की टीम ने छापेमारी कर बिना हॉलमार्क का सोना पकड़ा है। कि यह मिलावटी सोना है। जिस वजह से इस पर हॉलमार्क नहीं लगाया गया। चार करोड़ रुपये के सोने पर पुराना हॉलमार्क लगा था। इस सोने को सील कर सर्राफा को दे दिया है। वह इस सोने को बीआईएस की अनुमति के बिना नहीं बेच सकता है।यह शोरूम वैभव खंड के कृष्णा अपरा शापिंग कांप्लेक्स जी नौ व 10 में है। बीआईएस को मिलावटी सोना बेचने की शिकायत मिली थी। बीआईएस के संयुक्त निदेशक, उप निदेशक, सहायक निदेशक, इंदिरापुरम पुलिस को साथ लेकर शोरूम में पहुंचे। शोरूम में सोने की जांच पड़ताल की गई।
500 ग्राम के 34 आभूषण ऐसे पाए गए, जिन पर हॉलमार्क नहीं था। इनकी कीमत करीब 30 लाख रुपये हैं। इस सोने को टीम ने जब्त कर लिया। इसके अलावा सात किलो सोने के आभूषण पर पुराना हॉलमार्क लगा था। इसकी कीमत लगभग चार करोड़ रुपये हैं।ज्वेलर से पुराने हालमार्क को दस्तावेज दिखाने के लिए कहा गया लेकिन वह कोई दस्तावेज नहीं दिखा सका। जिस वजह से इस सोने को सील कर सर्राफ को दे दिया। जब तक इस सोने पर हॉलमार्क को दस्तावेज नहीं मिलते तब तक इसे बेच नहीं जा सकता है। ज्वेलर ने 2021 में हॉलमार्क का लाइसेंस लिया था। तभी से आभूषण बेच रहा था। बिना हॉलमार्क का सोना मिलावटी माना जाता है। सर्राफ 16 या इससे कम कैरेट के सोने को 22 कैरेट का बताकर बेचते हैं। यहां ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है। ज्यादातर ग्राहकों को हॉलमार्क की जानकारी नहीं होती है। वह बस शोरूम पर भरोसा कर आभूषण खरीद रहे थे।कैरेट से मतलब सोने की शुद्धता से है। सोने को 0 से 24 कैरेट के बीच मापा जाता है। 24 कैरेट सोना 99.9 फीसदी शुद्ध होता है। वहीं, 22 कैरेट सोना 91 फीसदी शुद्ध होता है। हालांकि 22 कैरेट सोने में नौ प्रतिशत भाग दूसरे धातु का मिला होता है। 24 की बजाय 22 कैरेट का सोना ज्यादा टिकाऊ माना जाता है। 22 कैरेट सोना आभूषण बनाने के लिए होता है। 22 कम कैरेट का सोना ज्यादा मिलावटी होता है। इसकी कीमत भी कम होती है। इसमें बहुत कम मात्रा में अन्य धातुओं को मिलाया जाता है। 24 कैरेट सोना नरम होता है। 24 कैरेट सोने की डेंसिटी भी कम होती है।