पाकिस्तान में सिखों के साथ हो रहा अन्याय अल्पसंख्यक सिख समुदाय के जातीय संहार की साजिश: जीके

पाकिस्तान सरकार ने जमीनी विवाद की आड़ में लाहौर शहर के नौलखा स्थित गुरुद्वारा शहीद भाई तारू सिंह पर ताला लगा दिया है। जिसके विरोध में आज जागो पार्टी और दिल्ली के तमाम पंथदर्दी सिखों ने जागो पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके के नेतृत्व में पाकिस्तानी दूतावास के नजदीक विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद जागो पार्टी के नेताओं ने दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पाकिस्तान दूतावास के अधिकारी जुल्फिकार अली को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के नाम एक ज्ञापन सौंपा। तीन मूर्ति चौक से पाकिस्तानी दूतावास की ओर मार्च कर रहे प्रदर्शनकारियों को दिल्ली पुलिस ने धारा 144 लागू होने का हवाला देते हुए चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन के बाहर अवरोधक लगाकर रोक दिया। इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए जीके ने पाकिस्तान में सिखों के उत्पीड़न को अल्पसंख्यक सिख समुदाय के “जातीय संहार” के रूप में परिभाषित किया। जीके ने कहा कि पहले पाकिस्तान में सिख चरमपंथियों के निशाने पर सिखों की नाबालिग बेटियां और सिख कारोबारी थे। लेकिन अब सिख धर्मस्थल भी भू-माफियाओं के निशाने पर आ गए हैं। इसलिए पाकिस्तान सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
शाहबाज शरीफ से गुरुद्वारा शहीद भाई तारू सिंह को तुरंत खोलने की मांग करते हुए जीके ने  अपने पत्र में कहा है कि गुरुद्वारा शहीद भाई तारू सिंह को सील करने की पाकिस्तान सरकार की कार्रवाई से सिख समुदाय स्तब्ध और दुखी है। क्योंकि लाहौर में स्थानीय प्रशासन ने गुरुद्वारा साहिब पर ताला लगा दिया है और सिख श्रद्धालुओं को गुरुद्वारा साहिब में मत्था टेकने से रोक दिया है। साथ ही स्थानीय चरमपंथी मुस्लिम समूह के दबाव में सिखों को शहीद भाई तारू सिंह की बरसी यहां पर नहीं मनाने दी गई। जिसके बाद पाकिस्तान कमेटी को मजबूरी में पास के गुरुद्वारा शहीद गंज में अखंड पाठ रखना पड़ा। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि स्थानीय भू-माफिया गुरुद्वारा शहीद भाई तारू सिंह की संपत्ति हड़पने की कोशिश कर रहा हैं। जिसके कारण स्थानीय सिख और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव पैदा हो गया है। पाकिस्तान और भारत सरकार ने श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर को खोलने का ऐतिहासिक कदम उठाया है, जिसकी दुनिया भर में सराहना हुई है। आप खुद पंजाबी हैं, तो आप हमारी चिंता अच्छी तरह समझ सकते हैं। जबकि 1950 के नेहरू-लियाकत समझौते के अनुसार, दोनों सरकारों ने अपने-अपने देशों में रहने वाले अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों और उनकी संपत्तियों की रक्षा के लिए गंभीरता से सहमत जताई हुई हैं। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पाकिस्तान ने “इवेक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड” का गठन भी किया था, लेकिन इस तरह की घटनाएं उक्त बोर्ड की कार्यप्रणाली पर उंगली उठा रही है। एक तरफ आपकी सरकारें पाकिस्तान जाने वाले सिख तीर्थयात्रियों के लिए गुरुद्वारे खोलने का दावा करती रही है, लेकिन इस घटना ने सिख समुदाय में एक नई चिंता पैदा कर दी है। जागो पार्टी के मुख्य महासचिव डॉ. परमिंदर पाल सिंह, दिल्ली कमेटी सदस्य परमजीत सिंह राणा, सतनाम सिंह खीवा, दिल्ली कमेटी के पूर्व सदस्य सतपाल सिंह, हरजिंदर सिंह तथा जागो पार्टी के नेता बाबू सिंह मुखिया, जतिंदर सिंह बॉबी, परमजीत सिंह मक्कड़, विक्रम सिंह, बख्शीश सिंह, गुरमीत कौर ओबरॉय, पप्पू सिंह काले और मनजीत सिंह कंद्रा आदि इस मौके मौजूद थे।
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