भारतीय रिज़र्व बैंक के इतिहास का पांचवां खंड जारी किया गया। इस खंड में वर्ष 1997 से वर्ष 2008 तक की 11 वर्ष की अवधि शामिल है। इस खंड के साथ, भारतीय रिज़र्व बैंक का इतिहास अब वर्ष 2008 तक अद्यतन हो गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2015 में डॉ. नरेंद्र जाधव, भूतपूर्व संसद सदस्य तथा रिज़र्व बैंक के भूतपूर्व प्रधान सलाहकार एवं मुख्य अर्थशास्त्री की अध्यक्षता में एक सलाहकार समिति के मार्गदर्शन में इस खंड को तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की थी। यह खंड आर्थिक इतिहासकार डॉ. तीर्थंकर रॉय के नेतृत्व में लेखकों की एक टीम द्वारा तैयार किया गया है। टीम के अन्य सदस्यों में के. कनगासबापति, एन. गोपालस्वामी, एफ. आर. जोसेफ और एस. वी. एस. दीक्षित शामिल थे।
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित इस खंड में भारतीय रिज़र्व बैंक के संस्थागत इतिहास को आधिकारिक रिकॉर्ड, प्रकाशनों और उन व्यक्तियों के साथ मौखिक चर्चाओं के आधार पर प्रलेखित किया गया है जो इस अवधि के दौरान भारतीय रिज़र्व बैंक के कामकाज के साथ निकटता से जुड़े थे। इस खंड में उस अवधि के दौरान की प्रमुख कार्यात्मक क्षेत्रों में नीतिगत और परिचालन संबंधी गतिविधियों को शामिल किया गया है, जिसे वैश्विक अर्थव्यवस्था में दो प्रमुख संकटों अर्थात एशियाई वित्तीय संकट और वैश्विक वित्तीय संकट द्वारा जाना जाता है। इसमें तीन गवर्नरों के कार्यकाल – डॉ. सी. रंगराजन के कार्यकाल का उत्तरार्द्ध, डॉ. बिमल जालान का संपूर्ण कार्यकाल और डॉ. वाई. वी. रेड्डी के कार्यकाल का एक बड़ा भाग शामिल है।