केंद्र की आर्थिक नितियाँ गरीब,मजदूर विरोधी

पटना

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा कि केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का पोल खुलने लगी है। हालिया प्रकाशित आँकड़े ने केन्द्र सरकार के दावों का पोल खोल कर रख दिया है। भाकपा राज्य सचिव कॉमरेड रामनरेश पांडेय ने बयान जारी कर कहा कि  वर्ष 2022 में भारत का व्यापार घाटा 192 अरब डॉलर पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष 102 अरब डॉलर था। केंद्र सरकार द्वारा पिछले वर्षों में मेक इन इंडिया एवं आत्मनिर्भर भारत जैसे लोकलुभावन नारों-नीतियों का खूब प्रचार हुआ, लेकिन पिछले वर्षों में लगातार बढ़ता व्यापार घाटा अलग कहानी बता रहा है कि हमारे उद्योग एवं उत्पादन क्षेत्रों में सरकारी नितियां सफल नहीं हो पा रही हैं। केंद्र सरकार को अब लुभावने नारे गढ़ना एवं जनमत को भ्रमित करना छोड़कर देश के वास्तविक आर्थिक विकास की नितियाँ अपनानी चाहिए, तभी भला हो सकता है।

 भाकपा राज्य सचिव ने अक्सफॉम की हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 10 फीसदी अमीरों के पास देश की 74  फीसद संपत्ति है और जीएसटी में सिर्फ़ चार फीसद का योगदान है। जबकि 50 फीसद लोगों के पास सिर्फ़ तीन फीसदी संपत्ति है और यही लोग 64 फीसदी जीएसटी भरते हैं। बावजूद इसके मोदी सरकार पूंजीपतियों को फायदा पहुंचा रही है। पूंजीपतियों के दस लाख करोड़ रुपये के कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया है। वहीं गरीब हितैषी योजनाओं को बंद कर रही है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को बंद कर दिया गया है। मनरेगा की राशि में लगातार कटौती की जा रही है। उर्वरकों की सब्सिडी समाप्त करने जा रही है। मोदी सरकार में अमीर और अमीर होते जा रहे हैं, तो गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। यह सरकार पूरी तरह गरीब और मजदूर विरोधी है।

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