वर्ष 2010 के लिए जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) में भारत की पहली, दूसरी और तीसरी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (बीयूआर) में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) द्वारा रिपोर्ट किए गए लोहा और इस्पात क्षेत्र से उत्सर्जन , 2014 और 2016 क्रमशः 95.998 मिलियन टन CO2, 154.678 मिलियन टन CO2 और 135.420 मिलियन टन CO2 थे।इस्पात मंत्रालय 2070 तक नेट-शून्य लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए, अल्पावधि (वित्त वर्ष 2030) में, ऊर्जा और संसाधन दक्षता के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के माध्यम से इस्पात उद्योग में कार्बन उत्सर्जन में कमी पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। मध्यम अवधि (2030-2047) के लिए, ग्रीन हाइड्रोजन और कार्बन कैप्चर, उपयोगिता और भंडारण का उपयोग फोकस क्षेत्र हैं। लंबी अवधि (2047-2070) के लिए, विघटनकारी वैकल्पिक तकनीकी नवाचार नेट-शून्य में संक्रमण प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। इस उद्देश्य के लिए, इस्पात मंत्रालय विभिन्न हितधारकों के साथ लगातार काम कर रहा है।
इस्पात उद्योग में डीकार्बोनाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों में शामिल हैं:-
1- स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति, 2019 स्टील बनाने में कोयले की खपत को कम करने के लिए घरेलू स्तर पर उत्पन्न स्क्रैप की उपलब्धता को बढ़ाती है।
- नवीनऔर नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने हरित हाइड्रोजन उत्पादन और उपयोग के लिए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की है। मिशन में इस्पात क्षेत्र को भी हिस्सेदार बनाया गया है।
- मोटरवाहन (पंजीकरण और वाहनों की स्क्रैपिंग सुविधा के कार्य) नियम सितंबर 2021, इस्पात क्षेत्र में स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाएंगे।
- एमएनआरईद्वारा जनवरी 2010 में शुरू किया गया राष्ट्रीय सौर मिशन सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है और इस्पात उद्योग के उत्सर्जन को कम करने में भी मदद करता है।
- नेशनलमिशन फॉर एनहैंस्ड एनर्जी एफिशिएंसी के तहत परफॉर्म, अचीव एंड ट्रेड (पीएटी) योजना,इस्पात उद्योग को ऊर्जा की खपत कम करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
- इस्पातक्षेत्र ने आधुनिकीकरण और आधुनिकीकरण में विश्व स्तर पर उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध तकनीकों (बीएटी) को अपनाया है। विस्तार परियोजनाओं।
- ऊर्जादक्षता में सुधार के लिए जापान की नई ऊर्जा और औद्योगिक प्रौद्योगिकी विकास संगठन (एनईडीओ) की मॉडल परियोजनाओं को इस्पात संयंत्रों में लागू किया गया है।
मंत्रालय निर्माताओं के बीच हरित इस्पात के लिए उभरते बाजार पर जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह जानकारी केंद्रीय इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।