जानिए ! पश्चिम बंगाल के लोग क्यों इस सफेद शिवलिंग की नहीं करते पूजा ?

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में एक सफेद शिवलिंग अपने लिए एक स्थायी आश्रय खोजने के लिए संघर्ष कर रहा है। एक तरफ तो पुजारी, स्थानीय लोग और आसपास के क्षेत्र से आने वाले श्रद्धालु इसकी पूजा करने आते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कोई भी इसे अपने घर नहीं ले जाना चाहता।

शिवलिंग के लिए बनेगा मंदिर:

स्थानीय लोगों का कहना है कि, यह ‘शिवलिंग’ चैत्र माह में गोबरदंगा के कंकणा तालाब में स्नान करते समय दो स्थानीय बच्चों को मिला था। हालाँकि, इस शिव मूर्ति को उस क्षेत्र के किसी भी घर या मंदिर में नहीं रखा जा सकता है, इसीलिए स्थानीय लोगों ने अब सफेद शिवलिंग को एक स्थायी आश्रय देने के लिए उसी स्थान पर एक मंदिर बनवाने का फैसला किया है।

कथित तौर पर, शुरुआत में एक स्थानीय पुजारी ने मूर्ति को स्वीकार कर लिया और उसे अपने घर ले गया। लेकिन दो दिनों के भीतर ही वह इसे वापस ले आया और कहा कि, वह इस शिवलिंग की पूजा नहीं कर सकते। हालांकि इसका उन्होंने कोई विशेष कारण नहीं बताया।

शिवलिंग की पूजा करना हर किसी के बस की बात नहीं:

बाद में, इस सफेद ‘शिवलिंग’ को क्षेत्र के एक शीतला मंदिर में रखा गया था, लेकिन बाद में इसे अपने मूल स्थान पर वापस रख दिया गया। स्थानीय लोगों ने अब उसी तालाब के पास ‘शिवलिंग’ का मंदिर बनाने का फैसला किया है, जहां से यह मिला था। स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि, महादेव को तालाब के पास बरगद के पेड़ के नीचे स्थापित किया गया था। एक निवासी नारायण साधु ने कहा कि, “भले ही सात लोग इस शिवलिंग को अपने घर ले गए, लेकिन भगवान शिव को रखना मामूली बात नहीं है। शिव इस कुंड को छोड़कर कहीं भी नहीं जाएंगे। इसलिए क्षेत्र के सभी लोगों ने यह तय किया है कि यहां सफेद शिवलिंग की स्थापना की जाएगी। जिसके लिए धन संग्रह किया जा रहा है।”

शिवलिंग की एक झलक पाने के लिए लोगों का लगा तांता:

रहस्यमय ‘शिवलिंग’ की एक झलक पाने और मंदिर को दान देने के लिए क्षेत्र और आसपास के भक्तों का तांता लगा हुआ है। एक स्थानीय असीम सरकार ने कहा, ‘यहां महादेव के लिए मंदिर बनाया जाएगा। नील पूजा के दिन मंदिर का उद्घाटन होगा। इस शिव के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। कुल मिलाकर, त्योहार का मूड गोबरदंगा क्षेत्र में इस शिव पर केंद्रित है।