7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक मंच पर लाने में रहे सफल मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल

चंडीगढ़ :  जलवायु परिवर्तन के चलते भविष्य के वैश्विक जल संकट के प्रति भागीरथ मनोहर लाल काफी चिंतित नजर आ रहे हैं। कोरोनाकाल में जब हर कोई घर पर रहने को मजबूर था तो उस समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भावी पीढ़ी को जमीन के साथ-साथ पानी भी विरासत में मिले इसके लिए ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ एक अनूठी योजना देश के समक्ष रखी जिसकी सराहना कई मंचों में हुई है। योजना के तहत मुख्यमंत्री का लक्ष्य धान बाहुल्य जिलों में धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल की ओर जाने के लिए किसानों को प्रेरित किया और स्वयं प्रदेश के सभी 10  धान बाहुल्य जिलों के किसानों से सीधा संवाद किया। परिणाम यह हुआ कि 1.5 लाख एकड़ भूमि पर किसानों ने धान की बजाय अन्य फसलों को अपनाया इसके लिए ऐसे किसानों को 7 हजार प्रति एकड़ की दर से वित्तीय सहायता दी जा रही है। वर्ष 2023-24 में इस योजना के तहत 2 लाख एकड़ क्षेत्र को धान के स्थान  पर अन्य फसलों के अधीन ले जाने का लक्ष्य लिया।  इसके अलावा, अब किसान धान की सीधी बिजाई पद्धति की ओर भी बढ़ रहे हैं, जिससे पानी की बचत होगी।

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने हाल ही में राज्य की द्विवार्षिक एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना (2023-25) का शुभारंभ किया। राज्य में कुल पानी की उपलब्धता 20,93,598 करोड़ लीटर है, जबकि पानी की कुल मांग 34,96,276 करोड़ लीटर है, जिससे पानी का अंतर 14 लाख करोड़ लीटर है। इस कार्य योजना से अगले दो वर्षों के इस अंतराल को पूरा करना है। जल संरक्षण की दिशा में गत दिनों पंचकूला में दो दिवसीय जल सम्मेलन का आयोजित किया गया था, जिसमें प्रशासनिक सचिवों और जल संरक्षण पर कार्य कर रहे देश-विदेश के विशेषज्ञों ने भाग लिया था। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य गिरते भूजल स्तर के मद्देनजर एक एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन रणनीति और दृष्टिकोण पर चर्चा करना था। उन्हीं के इनपुट के आधार पर द्विवार्षिक एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना (2023-25) तैयार की गई। योजना के क्रियान्वयन के लिए तीन कमेटियां गठित की गई हैं।  राज्य स्तरीय प्रथम कमेटी के मुख्यमंत्री स्वयं अध्यक्ष बने हैं तो दूसरी कमेटी मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होगी तथा तीसरी जिला स्तरीय कमेटी संबंधित जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में होगी।

मुख्यमंत्री ने कई वर्षों से लंबित जल संरक्षण की किशाऊ, लखवार व रेणुका बांधों की परियोजनाओं को सिरे चढ़ाने की पहल की है इसके लिए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के  केंद्र सरकार से किये गए आग्रह पर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली व राजस्थान के मुख्यमंत्री एक मंच पर आये और आपसी समझौतों पर हस्ताक्षर किये। किशाऊ को तो बहुउद्देशीय (राष्ट्रीय) परियोजना घोषित किया गया। वित्त मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री ने सिंचाई व जल संसाधन क्षेत्र को 6598 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया है ।

मुख्यमंत्री कहते हैं कि एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला दिया हुआ है।  उम्मीद है कि यह मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार है फिर भी हिमाचल के रास्ते लाने के एक वैकल्पिक प्रस्ताव पर विचार किया गया है। योजना का खाका हिमाचल को भेजा गया है। सिंचाई विभाग (मिकाडा सहित), जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, पंचायत विभाग, तालाब प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, शहरी स्थानीय निकाय, वन, शिक्षा इत्यादि विभागों को भी जल संसाधन के कार्यों में सहयोग देंगे ताकि जल बचाओ अभियान को सफल बनाया जा सके। जल संरक्षण के इन भागीरथी प्रयासों में मुख्यमंत्री का विशेष ध्यान प्रदेश में जल बचाओ को मूर्त देने में कामयाब होगा।

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