आपदा अथवा अन्य आपात स्थिति में राहत एवं बचाव के लिए 15 हजार ‘आपदा मित्र’ एवं राज्य स्वयंसेवक तैयार : ओंकार चंद शर्मा

आगामी बरसात के मौसम के दौरान आपदा प्रबन्धन से संबंधित तैयारियों की समीक्षा के लिए आज यहां प्रधान सचिव राजस्व, ओंकार चंद शर्मा की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि तैयारियों के अभाव अथवा कार्रवाई में देरी से एक भी बहुमूल्य जीवन न खोने देने की दृष्टि से आपदा प्रबन्धन प्रकोष्ठ समय रहते सभी तैयारियां सुनिश्चित कर रहा है।
बैठक में बांधों एवं जलाशयों में जल स्तर, भूकंप, बादल फटने, बिजली गिरने और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की समयपरक सूचना उपलब्ध करवाने पर विशेष बल देते हुए कहा गया कि यह बहुमूल्य मानव जीवन सहित अमूल्य संपदा की रक्षा में यह सहायक होता है।
प्रधान सचिव ने आधुनिक दौर की प्रौद्योगिकी के प्रयोग पर बल देते हुए कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा ‘सचेत’ ऐप विकसित किया गया है, जिसमें स्थानीय स्तर पर आपदा से संबंधित सटीक सूचना नियमित अंतराल पर अद्यतन की जाती है। इस ऐप के माध्यम से मौसम संबंधी जानकारी एवं चेतावनियां समय पर उपलब्ध होती हैं और किसी स्थान विशेष में आपदा के समय क्या करें अथवा न करें, इसके बारे में भी यह हमें निर्देशित करता है।
उन्होंने संबंधित विभागों एवं अधिकारियों को बांधों, विद्युत परियोजनाओं और नदी प्रबन्धन प्राधिकरणों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव, भूस्खलन और बांधों से पानी छोड़ने संबंधी सूचना के आदान-प्रदान के निर्देश भी दिए ताकि प्रभावित क्षेत्रों को चिन्हित करते हुए प्रतिक्रिया दलों को समय पर तैयारी कर कार्रवाई के लिए सचेत किया जा सके। उन्होंने जिला प्रशासन को अवैध खनन पर कड़ी नजर रखने के निर्देश देते हुए कहा कि विशेष तौर पर नदी तटों पर इस तरह की गतिविधियों से क्षरण के कारण सड़कों को क्षति एवं भूस्खलन से दुर्घटनाएं इत्यादि सामने आती हैं।
ओंकार चंद शर्मा ने कहा कि बरसात के दौरान विभिन्न स्थानों पर पुलों एवं सड़कों के टूटने, पेयजल आपूर्ति योजनाओं के बहने, पेयजल आपूर्ति पाईपों तथा विद्युत आपूर्ति तारों एवं खम्बों के टूटने से परिवहन सेवाओं, पेयजल व विद्युत आपूर्ति इत्यादि में बाधा पहुंचती है। उन्होंने संबंधित विभागों को ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देते हुए समय पर एवं त्वरित कार्रवाई करते हुए हानि को न्यून करने की दिशा में कार्य करने को कहा। उन्होंने संबंधित विभागों को सड़कों के किनारे एवं अन्य नालियों को साफ रखने तथा खतरा संभावित क्षेत्रों में मशीनों, आधुनिक उपकरणों एवं मानव संपदा की समुचित तैनाती के भी निर्देश दिए।
बैठक में यह भी कहा गया कि राज्य में स्थित छोटे बांधों को बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 के अन्तर्गत लाया जाए और भविष्य में निर्मित होने वाले बांधों को भी इस अधिनियम के तहत निर्धारित मापदंडों के अनुसार निर्मित किया जाए।
प्रधान सचिव ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, गृह रक्षक और भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के अतिरिक्त राज्य में आपदा अथवा अन्य आपात स्थिति में राहत एवं बचाव के लिए 15 हजार ‘आपदा मित्र’ एवं राज्य स्वयंसेवक तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम के दृष्टिगत प्रदेशभर में आवश्यक उपकरणों के साथ चेतावनी दलों समुचित तैनाती सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित बलों की समुचित उपलब्धता के दृष्टिगत इन आपदा मित्र एवं अन्य स्वयंसेवकों को समय-समय पर प्रशिक्षण एवं कार्यशालाओं के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाए। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल एवं राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल के समन्वय से पाठशालाओं और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा कार्यक्रमों और मॉकड्रिल का आयोजन सुनिश्चित किया जाए ताकि लोगों में जागरूकता पैदा करने के साथ ही तैयारियों का भी जायज़ा लिया जा सके।
ओंकार चंद शर्मा ने कहा कि प्रभावितों एवं ज़रूरतमंदों को समय पर सहायता, अनुदान एवं राहत निधि आवंटित करने में किसी भी स्तर पर देरी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने आपात स्थिति के दृष्टिगत आपदा संभावित क्षेत्रों में खाद्य पदार्थों, कंबल, स्लीपिंग बैग, जल भण्डारण टैंकों और फॉगिंग मशीनों का समय रहते समुचित प्रबन्धन एवं भण्डारण करने के भी निर्देश दिए। बैठक के दौरान जिला उपायुक्तों को वित्तीय मामलों के सुचारू क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन सूचना प्रणाली में प्रविष्टियां दर्ज करने और निरंतर डाटा अद्यतन करने के भी निर्देश दिए गए।
बैठक में भारतीय मौसम विभाग के निदेशक, केन्द्रीय जल आयोग शिमला के निदेशक, ऊर्जा विभाग, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, गृहरक्षक वाहिनी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे जबकि सभी जिला उपायुक्त वर्चुअल माध्यम से बैठक से जुड़े।
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