हिंडनबर्ग द्वारा जारी रिसर्च रिपोर्ट के पांच महीने बाद एक बार फिर अडानी ग्रुप ने तगड़ा जवाब दिया और हिंडनबर्ग के रिपोर्ट को भ्रामक बताया है। अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी (Gautam Adani) ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने समूह पर गलत रिपोर्ट जारी की, जिसका उद्देश्य समूह की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना और अडानी के शेयरों में गिरावट के जरिए से मुनाफा कमाना था। अडानी एंटरप्राइजेज की सलाना रिपोर्ट में अडानी ने कहा कि समूह अपने गवर्नेंस और डिस्क्लोजर स्टैंडर्ड को लेकर आश्वस्त है।
अडानी ने शेयरधारकों को अपने संदेश में कहा, “गणतंत्र दिवस से ठीक एक दिन पहले अमेरिका बेस्ड शॉर्टसेलर ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की। यह रिपोर्ट उस वक्त जारी की गई जब हम भारत के इतिहास में सबसे बड़ी फॉलो-ऑन सार्वजनिक पेशकश (FPO) लॉन्च करने की योजना बना रहे थे। हिंडनबर्ग ने अपने रिपोर्ट में टारगेटेड गलत जानकारी और बदनाम करने के मकसद से आरोपों का एक कॉम्बिनेशन था। इसका उद्देश्य हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना और हमारे स्टॉक की कीमतों में जानबूझकर गिरावट के माध्यम से मुनाफा कमाना था।” समूह ने एक बार फिर दोहराया कि उन्होंने एफपीओ को वापस लेने और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए उन्हें पैसा लौटाने का फैसला किया था।
अडानी ने कहा, “शॉर्ट-सेलिंग की घटना के परिणामस्वरूप कई प्रतिकूल परिणाम हुए जिनका हमें सामना करना पड़ा। भले ही हमने तुरंत डिटेल में खंडन जारी किया, लेकिन अलग-अलग निहित स्वार्थों ने हिंडनबर्ग द्वारा किए गए दावों का अवसरवादी रूप से फायदा उठाने की कोशिश की। इन संस्थाओं ने विभिन्न समाचारों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर झूठी कहानियों को शामिल किया और प्रोत्साहित किया।” समूह के अध्यक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ पैनल को समूह में कोई नियामक विफलता नहीं मिली। अडानी ने कहा कि समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय बाजारों को संगठित रूप से अस्थिर करने के विश्वसनीय आरोप थे।” अडानी ने कहा कि हालांकि सेबी ने अभी तक अपनी रिपोर्ट जमा नहीं की है, लेकिन वे अपने गवर्नेंस और डिस्क्लोजर स्टैंडर्ड को लेकर आश्वस्त हैं।