Inside Story : 60 दिन में 9 बच्चों ने दी जान, आखिर कोटा में छात्र क्यों कर रहे हैं सुसाइड

कोटा राजस्थान में बसी वह शिक्षा नगरी जहां बच्चे अपने सपनों को उड़ान देने के लिए जाते हैं। उनके ऊपर सिर्फ मंजिल हांसिल करने की धुन सवार होती है। समझ नहीं आ रहा कि इस नगरी में आखिर ऐसी कौन सी आबो हवा है जो वहां जाने के बाद कुछ छात्र सुसाइड करना चुन लेते हैं। वे आखिर अपनी जान क्यों दे देते हैं? जिस सपने को पूरा करने के लिए वे अपनों से दूर जाते हैं आखिर उन अपनों को हमेशा के लिए क्यों छोड़ जाते हैं? जवाब कौन देगा पता नहीं?

इस मामले में शासन-प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। कोई ठीक से कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। हर बार यही कहा जाता है कि परिजनों का छात्र के ऊपर एंट्रेंस एग्जाम पास करने का दबाव था। हर बार यही बहाना क्यों? क्या गला फाड़कर चिल्लाने वाले वे कोचिंग सेंटर जिम्मेदार नहीं है जो एडमिशन लेते ही ये कहते हैं कि हम तुम्हारा भविष्य सुनहरा बना देंगे। क्या राजस्थान सरकार की जवाबदेही नहीं बनती कि शिक्षा की नगरी कोटा में आए दिन बच्चे अपनी जान क्यों दे रहे हैं? ये बात हम यूं ही नहीं कर रहे हैं बल्कि यहां पिछले दो महीनों में 9 छात्रों ने सुसाइड का रास्ता अपनाया है। खैर, किसी को क्या फर्क पड़ता है? ऐसा लगता है कि यहां छात्रों का सुसाइड करना आम बात हो गई है।

अभी हाल ही में 27 जून यानि मंगलवार को दो छात्रों ने अपनी जान दी है। वे एमबीबीएस करना चाहते थे। इसके लिए एंट्रेस एग्जाम की तैयारी कर रहे थे। उनका सपना नीट (NEET) क्लीयर करने का था। अब सवाल तो यह भी बनता है कि क्या इन छात्रों के ऊपर इंस्टिट्यूट या घऱवालों की तरफ से दबाव था?

पहले छात्र की उम्र 18 साल है। वह उदयपुर के सलुम्बर का रहने वाला था। उसने मंगलवार सुबह अपने छात्रावास के कमरे में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। पुलिस के अनुसार, मृतक छात्र मेहुल पिछले दो महीने से कोटा के एक कोचिंग संस्थान में NEET की तैयारी कर रहा था। वह विज्ञान नगर इलाके के एक हॉस्टल में रहता था। उसके कमरे से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। घटना के समय मेहुल अपने हॉस्टल के कमरे में अकेला था क्योंकि उसका रूममेट बाहर गया हुआ था। कई घंटे बीत जाने के बाद भी जब मेहुल अपने कमरे से बाहर नहीं आया तो उसके हॉस्टल के साथियों ने केयरटेकर को इसकी जानकारी दी। केयरटेकर ने जब दरवाजा तोड़ा तो देखा कि मेहुल अपने कमरे में फांसी के फंदे से लटक रहा था। फिलहाल उसके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया।

दूसरी घटना में भी मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे एक छात्र ने फांसी लगा कर अपनी जान दे दी। छात्र की पहचान आदित्य के रूप में हुई है। वह करीब दो महीने पहले ही कोटा आया था। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो महीनों में कोटा में कुल नौ छात्रों ने सुसाइड किया है। जिनमें पांच मामले मई और चार जून महीने में सामने आए हैं।

इन बच्चों की मौत पर कॉलेज/संस्थान की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। बच्चों के माता-पिता अलग परेशान हैं। किसी को यह भी पता नहीं है कि क्या दोनों छात्र पढ़ाई को लेकर किसी तरह के दबाव में थे। कहने का मतलब है कि कोई सुनवाई नहीं है।

राजस्थान राज्य विधानसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2019 से दिसंबर 2022 के बीच कोचिंग लेने वाले कोटा के 52 छात्रों ने सुसाइड कर लिया। अब देखना है कि प्रशासन कब अपनी नींद से जागती है और इन बच्चों की सुध लेती है। जिनके ऊपर परफॉर्मेंस के नाम पर इतना दबाव बनाया जाता है कि ये अपनी जान दे देते हैं।

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