केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव की चर्चा : फेरबदल हुए तो किसे मिल सकता है मौका और कौन होगा आउट?

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आगामी 3 जुलाई को मंत्रिपरिषद की बैठक बुलाने से केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव की चर्चा शुरू हो गई है. लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय रह गया है और कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में अटकलें हर घंटे जोर पकड़ रही हैं. खास बात यह है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के महासचिव (संगठन) बीएल संतोष सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने बुधवार देर रात प्रधानमंत्री आवास पर लंबी चर्चा की, जिससे सत्ता के गलियारे में हलचल मच गई.

न्यूज18 को पता चला है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी वास्तव में फेरबदल के साथ आगे बढ़ने का फैसला करते हैं, तो यह केवल कैबिनेट मंत्रियों तक ही सीमित नहीं होगा. कई राज्य मंत्रियों को भी बदला जाएगा. लेकिन अगर कोई फेरबदल होता है, तो एक शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री, जो संगठन के भीतर से उभरा है, उनको ‘संगठन’ में वापस जाने के लिए कहा जाने की बहुत चर्चा है. अब, चुनावी राज्य राजस्थान से अर्जुन राम मेघवाल संसदीय मामलों के साथ-साथ कानून विभाग के भी प्रभारी हैं. पिछले महीने, अचानक घोषणा हुई कि एसपी सिंह बघेल, जो कानून और न्याय राज्य मंत्री थे, उनको नया कनिष्ठ स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया है.

सूत्रों के मुताबिक, अगर कैबिनेट में बदलाव होता है तो पश्चिम बंगाल की हिस्सेदारी में कटौती होने की संभावना है. फिलहाल, राज्य में चार राज्य मंत्री हैं और कम से कम दो के मंत्रालय जाने की संभावना है। भाजपा के सूत्रों ने कहा कि जब भी फेरबदल होगा एक को छोड़कर, जो अमित शाह के करीबी माने जाते हैं, बाकी लोग अगले फेरबदल के बारे में अनिश्चित हैं. नाम न छापने की शर्त पर एक भाजपा ने कहा, “जब भी ऐसा होगा, यह एक राजनीतिक फेरबदल होगा. किसी टेक्नोक्रेट को शामिल नहीं किया जाएगा. यह चुनाव जीतने की दृष्टि से किया जाएगा.”

संभावना है कि छत्तीसगढ़, जहां चुनाव होने वाले हैं. वहां से पार्टी सांसदों को कैबिनेट में लाया जाएगा. राज्य में भाजपा के आठ सांसद हैं, जहां कांग्रेस मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कट्टर प्रतिद्वंद्वी टीएस सिंह देव को उपमुख्यमंत्री नियुक्त करके आंतरिक मतभेदों को दूर कर रही है. हालांकि बीजेपी में कोई भी इस बारे में निश्चित नहीं है कि बदलाव कब होंगे.

मुख्तार अब्बास नकवी के कैबिनेट से चले जाने और पीएम मोदी की पसमांदा मुसलमानों तक दृढ़ पहुंच के साथ. इस बात के पर्याप्त संकेत हैं कि एक अल्पसंख्यक सांसद को मंत्री के रूप में लाया जा सकता है. हालांकि, एक सूत्र ने News18 को बताया कि इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें अल्पसंख्यक मामलों का विभाग दिया जाएगा जैसा कि मानक रहा है. मंत्रालय का नेतृत्व फिलहाल स्मृति ईरानी कर रही हैं.

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