भारत की कल्पना नाबार्ड के बिना नहीं जा सकती है देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर, कृषि, कोऑपरेटिव संस्थाओं की रीढ़ के रूप में काम किया है

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित नाबार्ड के 42वेंस्थापना दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के रूप मे संबोधित किया।इस अवसर पर वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड, सचिव, सहकारिता मंत्रालय, श्री ज्ञानेश कुमार और अध्यक्ष, नाबार्ड, श्री के वी शाजी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।श्री अमित शाह ने कहा कि लगभग 65 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्य़ा वाले भारत की कल्पना नाबार्ड के बिना की ही नहीं जा सकती है। उन्होंने कहा कि पिछले लगभग 4 दशकों में नाबार्ड ने इस देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर, कृषि, कोऑपरेटिव संस्थाओं और डेढ़ दशक से इस देश के स्वयं सहायता समूहों की रीढ़ के रूप में काम किया है। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आज भारत में शहरों के साथ-साथ गांव भी आत्मनिर्भर बन रहे हैं। इसके साथ ही ग्रामीण अर्थतंत्र की आत्मा मानी जाने वाली हमारी कृषि अर्थव्यवस्था भी बहुत तेज़ी के साथ बढ़ रही है और कृषि अर्थव्यवस्था में स्वाभाविक रूप से कोऑपरेटिव इस प्रकार जुड़ी हुई एक ऐसी गतिविधि है जिसे इससे अलग नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि गांव के हर व्यक्ति, विशेषकर माताओं और बहनों, को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थापित स्वयं सहायता समूहों को अपने पैरों पर खड़ा करने और स्वाभिमान के साथ समाज में स्थापित करने में नाबार्ड की बहुत बड़ी भूमिका रही है।


केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि नाबार्ड ने कई क्षेत्रों में पिछले 42 सालों में नए काम शुरू किए हैं, विशेषकर, रिफाइनेंस और कैपिटल फॉर्मेशन के काम को नाबार्ड ने बहुत अच्छे तरीके से आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि कैपिटल फॉर्मेशन के लिए अब तक लगभग 8 लाख करोड़ रूपए की राशि नाबार्ड के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गई है। उन्होंने कहा कि कृषि और किसानों की आवश्यकताओं को पूरा करने और एग्री-प्रोडक्शन को मज़बूत करने और इसमें विविधता लाने के लिए अनेक प्रकार की योजनाओं के तहत नाबार्ड ने 12 लाख करोड़ रूपए ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था में रिफाइनेंस किया है। श्री शाह ने कहा कि पिछले 42 सालों में नाबार्ड ने 14 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ 20 लाख करोड़ रूपए ग्रामीण अर्थव्यवस्था में रिफाइनेंस किया है। उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के बिना देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और इसके विकास की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे लक्ष्य तय करने चाहिएं, जो साथियों को काम करने का हौसला, दौड़ने की प्रेरणा दें और विजय के विश्वास का संचार करें।

श्री अमित शाह ने कहा कि 1982 में कृषि वित्त में 896 करोड़ रूपए का लघुकालीन ऋण था, जिसे आज 1.58 लाख करोड़ रूपए तक पहुंचाने का काम नाबार्ड ने किया है। उन्होंने कहा कि 1982 में दीर्घकालीन कृषि ऋण 2300 करोड़ रूपए था जिसे 1 लाख करोड़ रूपये तक पहुंचाने का काम नाबार्ड ने किया है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि हम आज़ादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में हैंऔर देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे सामने एक लक्ष्य रखा है कि देश की आज़ादी के सौ वर्ष पूरे होने पर हर क्षेत्र में हम कहां होंगे, इसका संकल्प लें। उन्होंने कहा कि देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि, कोऑपरेटिव व्यवस्था के फाइनेंस के विकास और स्वयं सहायता समूहों और ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर को विस्तृत करने का लक्ष्य नाबार्ड के सिवा कोई तय नहीं कर सकता।
श्री अमित शाह ने कहा कि हमारे पिछले प्रदर्शन और आने वाले समय में देश की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर गर्व के साथ नाबार्ड को अपने अगले 25 सालों के लक्ष्य तय करने चाहिएं, जिनका हर 5 साल में रिव्यू हो और हर 5 साल के लक्ष्य का रिव्यू हर वर्ष हो। उन्होंने कहा कि ज़रूरत है लक्ष्यों की सिद्धि के लिए हौसले और दूरदर्शिता के साथ आगे आने की। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में हो रहे बदलावों को गांवों तक पहुंचाने का संकल्प नाबार्ड और सहकारी संस्थाओं के सिवा कोई नहीं ले सकता है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज यहां ज़िला सहकारी बैंक ने डेबिट कार्ड के साथ-साथ रूपे क्रेडिट कार्ड देने की भी शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि सहकारी संस्थाओं के बीच सहकार योजना के तहत सभी सहकारी समितियों के सदस्यों के बैंक खातों को ज़िला सहकारी बैंक में ट्रांस्फर कर दिया गया है और सभी दुग्ध उत्पादक समितियों को बैंक मित्र बनाने का काम भी कर दिया गया है। श्री शाह ने कहा कि अगर देशभर की सारी कोऑपरेटिव व्यवस्था में कोऑपरेशन अमंग्स्ट कोऑपरेटिव्स के कॉंसेप्ट के साथ हम आगे बढ़ते हैं और PACS से लेकर APACS तक सारी ऋंखला का पैसा कोऑपरेटिव व्यवस्था में ही रहता है, तो कोऑपरेटिव व्यवस्था के लिए किसी को पैसा देने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में 2014 से 2023 का 9 साल का कालखंड कई क्षेत्रों में ऐतिहासिक सिद्ध हुआ है। उन्होंने कहा कि विशेषकर गरीबी उन्मूलन और कृषि के विकास के लिए जब भी देश का इतिहास लिखा जाएगा नरेन्द्र मोदी जी के 9 सालों का शासन स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा क्योंकि गरीबी उन्मूलन और कृषि व्यवस्था को मजबूत करने के लिए इन 9 सालों में कई काम हुए हैं। श्री शाह ने कहा कि 2 साल पहले मोदी जी ने एक और नया इनीशिएटिव लेते हुए केन्द्रीय सहकारिता मंत्रालय की स्थापना का निर्णय किया। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने देश के करोड़ों गरीबों के सारे स्वप्न 5 साल में पूरे कर दिए और इसके बाद इन करोड़ों लोग को जन धन अकाउंट के माध्यम से देश के अर्थतंत्र के साथ जोड़ने का काम किया।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि समय के साथ साथ हमारी कोऑपरेटिव व्यवस्था चरमरा गई थी क्योंकि कानूनों में समयानुकूल परिवर्तन नहीं हुए औरसमाज और फाइनेंस के क्षेत्र में हो रहे आधुनिक परिवर्तनों को कोऑपरेटिव व्यवस्था ने स्वीकार नहीं किया। पूरी उन्होंने कहा कि इस पूरी व्यवस्था को उसी आधार के उपयोग से पुनर्जीवित करने और देश के करोड़ों लोगों को समृद्ध बनाने का एक तंत्र खड़ा करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने सहकारिता मंत्रालय का गठन किया। श्री शाह ने कहा कि 2 साल में हमने पैक्स में कई परिवर्तन किए हैं। नाबार्ड के सहयोग से और इसे नोडल एजेंसी बनाकर 63000 पैक्स का कंप्यूटराइजेशन हो रहा है, जिसमें सॉफ्टवेयर के साथ पैक्स से लेकर नाबार्ड तक पूरी व्यवस्था, बैंकिंग, ऑडिट ऑनलाइन हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पैक्स के बायलॉज बदलने का काम भी किया और उन्हें मल्टीडाइमेंशनल बनाया।अब पैक्स भंडारण का काम भी करेंगे, जन आरोग्य केंद्र भी खोल पाएंगे, फर्टिलाइजर्स दुकान भी खोल पाएंगे,पीडीएस सिस्टम का हिस्‍सा भी बन सकेंगे, पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी भी पैक्स को मिलेगी। पैक्स को वायबल करने के लिए हमने बहुत बड़ा परिवर्तन किया है और इन सारी चीजों को नाबार्ड के सहयोग के बगैर हम जमीन पर नहीं उतार सकते।

श्री अमित शाह ने कहा कि नाबार्ड एक बैंक नहीं बल्कि एक मिशन है, देश की ग्रामीण व्यवस्था को मजबूत करने का।उन्होंने कहा कि नाबार्ड के लक्ष्य फाइनेंशियल पैरामीटर्सपर तो तय हों ही, लेकिन इनसे साथ ही परंतु मानवीयऔर ग्रामीण विकास के लक्ष्‍य भी तय करने होंगे। उन्होंने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में तीन बहुराज्यीयकोऑपरेटिव सोसाइटी बनाई गई हैं। ऑर्गेनिक उत्पादों का किसान को उचित दाम वैश्विक बाजार में मिले, इसके लिए बहुराज्‍यीय सहकारी कोऑपरेटिव सोसायटी बनाई है, निर्यात कर हमारे कृषि उत्पादों को विश्‍व बाजार में पहुंचाने के लिए बहु राज्यीय सहकारी निर्यात कोऑपरेटिव सोसाइटी बनाई है और हमारे परंपरागत बीजों के संरक्षण, संवर्धन और ज्यादा पैदावार देने वाले बीजों के उत्पादन और मार्केटिंग के लिए भी बहुराज्यीय सहकारी बीज समिति भी बनाई गई है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने कोऑपरेटिव को प्रमोट करने के लिए कोऑपरेटिव और कॉर्पोरेट को आयकर की दृष्टि से एक समान दर पर लाने का काम आज़ादी के लगभग 50 साल के बाद किया है।उन्होंने कहा कि चीनी मिलों के 10000 करोड़ रूपए के पुराने विवाद को भी हमने हल किया है, सहकारी समितियों के अधिभार को 12% से कम कर 7% कर दिया, मैटको 18.5 प्रतिशत से कम कर 15% किया है। मोदी सरकार ने कोऑपरेटिव को खुले बाजार में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए टैक्सेशन की दृष्टि से एनवायरन मेंटल सपोर्ट देने का काम भी मोदी जी के नेतृत्व में किया गया है।

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