एनएचएसआरसीएल द्वारा महाराष्ट्र राज्य में अंतिम सिविल अनुबंध (एमएएचएसआर- सी 3) प्रदान किया गया

 

एमएएचएसआर कॉरिडोर के लिए 100% सिविल अनुबंध पूरे किये गए

एनएचएसआरसीएल द्वारा महाराष्ट्र राज्य में अंतिम सिविल अनुबंध (एमएएचएसआर- सी 3) जिसमें 135 कि.मी. एमएएचएसआर संरेखण में 7 सुरंगें और महाराष्ट्र राज्य में वैतरणा नदी पर 2 कि.मी. का सबसे लंबा पुल शामिल है, प्रदान किया गया।इसके साथ, महाराष्ट्र राज्य के तीनो सिविल निर्माण अनुबंध: मुंबई (बीकेसी) एचएसआर स्टेशन (सी 1), 21 कि.मी. सुरंग सहित 7 कि.मी. समुद्र के नीचे सुरंग (सी 2) और 135 कि.मी. संरेखण (सी 3) दिए जा चुके हैं।

यह 508 कि.मी. लंबे एमएएचएसआर कॉरिडोर के सभी 11 सिविल पैकेजों के अनुबंधित होने का भी प्रतीक है, जिसमें 465 कि.मी. लम्बा वायाडक्ट, 12 एचएसआर स्टेशन, 3 रोलिंग स्टॉक डिपो, 10 कि.मी. वायाडक्ट वाले 28 स्टील पुल, 24 नदी पुल, 7 कि.मी. लंबी भारत की पहली समुद्र के नीचे सुरंग सहित 9 सुरंगें शामिल हैं।

एमएएचएसआर कॉरिडोर को 28 अनुबंध पैकेजों में विभाजित किया गया है, जिनमें से 11 सिविल पैकेज हैं, जिन्हें 33 महीनों की अवधि में अनुबंधित किया गया। गुजरात राज्य में 4 एचएसआर स्टेशनों (वापी, बिलिमोरा, सूरत और भरूच) और सूरत रोलिंग स्टॉक डिपो सहित 237 कि.मी. वायाडक्ट के निर्माण के लिए पहला सिविल अनुबंध 28 अक्टूबर 2020 को दिया गया था, जो कि भारत का सबसे बड़ा सिविल अनुबंध भी था। महाराष्ट्र राज्य में 3 एचएसआर स्टेशनों (ठाणे, विरार और बोइसर) के साथ 135 कि.मी. वायाडक्ट का अंतिम सिविल अनुबंध 19 जुलाई 2023 को दिया गया।वायाडक्ट के निर्माण में तेजी लाने के लिए, भारत में पहली बार, 970 टन वजन वाले 40 मीटर लंबाई के फुल स्पैन गर्डरों को एक तरह के फुल स्पैन लॉन्चिंग उपकरण सेट: स्ट्रैडल कैरियर, ब्रिज गैन्ट्री, गर्डर ट्रांसपोर्टर और गर्डर लॉन्चर, के माध्यम से लॉन्च किया गया है, जो भारत में डिज़ाइन और निर्मित किए गए हैं। यह तकनीक कन्वेंशनल सेगमेंट लॉन्चिंग तकनीक से लगभग 10 गुना तेज है तथा इस तकनीक ने निर्माण उद्योग को एक नया आयाम प्रदान किया है।

इस मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में 1.6 करोड़ घन मीटर सीमेंट और 17 लाख मीट्रिक टन स्टील की खपत होने की उम्मीद है और यह सीमेंट और स्टील उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा। 508 कि.मी. एमएएचएसआर एलाइनमेंट में से, गुजरात में, 352 कि.मी. के लिए ट्रैक कार्यों की निविदाएं भी प्रदान की जा चुकी हैं। एमएएचएसआर कॉरिडोर के लिए हाई-स्पीड रेल ट्रैक सिस्टम के लिए भारतीय इंजीनियरों और वर्क लीडर्स का प्रशिक्षण पहले ही शुरू किया जा चुका है। सूरत डिपो में विशेष रूप से निर्मित सुविधा में लगभग 1000 इंजीनियरों/ वर्क लीडर्स /तकनीशियनों को प्रशिक्षित किए जाने की योजना बनाई गई है। जिसमे, लगभग 20 जापानी विशेषज्ञ भारतीय इंजीनियरों, पर्यवेक्षकों और तकनीशियनों को गहन प्रशिक्षण देंगे और उनके कौशल को प्रमाणित करेंगे।

एमएएचएसआर-सी -3 पैकेज पर अतिरिक्त विवरण

कुल लंबाई 135 कि.मी. (महाराष्ट्र-गुजरात सीमा पर शिलफाटा और ज़ारोली गांव के बीच)
वायाडक्ट और पुल: 124 कि..मी
पुल और क्रॉसिंग: 36 (12 स्टील पुलों सहित)
स्टेशन: 3 अर्थात् ठाणे, विरार और बोईसर (सभी एलिवेटेड)
पर्वतीय सुरंगें: 6
नदी पुल: उल्हास नदी, वैतरणा और जगनी, एमएएचएसआर परियोजना का सबसे लंबा पुल (2.28 कि.मी.) वैतरणा नदी पर बनाया जाएगा

एनएचएसआरसीएल के बारे में
नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) को भारत में हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के वित्त, निर्माण, रखरखाव और प्रबंधन के उद्देश्य से 12 फरवरी 2016 को कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत निगमित किया गया था। कंपनी को रेल मंत्रालय और दो राज्य सरकारों, गुजरात सरकार और महाराष्ट्र सरकार, के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा इक्विटी भागीदारी के साथ संयुक्त क्षेत्र में ‘विशेष प्रयोजन वाहन’ के रूप में तैयार किया गया है।

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