श्री ज्योतिरादित्य एम.सिंधिया ने स्टील उद्योग के विविध परिदृश्य पर विचार करने वाले नीतिगत उपायों के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जनों को कम करने के समाधानों की आवश्यकता पर जोर दिया

इस्पात क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने की भारत की प्रतिबद्धता को पूर्ण करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्रीय इस्पात और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने 28 सितंबर, 2023 को भारत में हरित इस्पात के लिए इकोसिस्टम को सक्षम बनाने के लिए समर्पित 13 कार्यबलों में से 5 के साथ सार्थक विचार-विमर्श किया। इस वार्तालाप में इस क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों, उद्योग विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों ने भागीदारी करते हुए इस्पात उत्पादन में स्थिरता और इसे कार्बन मुक्त बनाने के भारत के दृष्टिकोण के प्रति अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता जताई। बैठक में इस्पात मंत्रालय के सचिव, कार्यबलों के अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। केंद्रीय इस्पात मंत्री की अध्यक्षता में हुई चर्चा में, नवीकरणीय ऊर्जा, कौशल विकास, प्रोत्साहन और डीकार्बोनाइजेशन के संभावित विकल्पों सहित बहु-आयामी दृष्टिकोण के माध्यम से इन अपरिहार्य चुनौतियों से निपटने के लिए एक प्रारूप तैयार करने पर भी चर्चा की गई। बैठक के दौरान इस दिशा में मंत्री महोदय के महत्वपूर्ण मार्गदर्शन और दृष्टिकोण से कार्य बलों द्वारा प्रस्तुत अंतिम सिफारिशों को कार्यान्वित करने में सहायता मिलेगी। वार्तालाप के दौरान इस्पात उद्योग के विविध परिदृश्यों पर विचार करने वाले डीकार्बोनाइजेशन समाधानों के साथ-साथ नीतिगत उपायों की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया, जिसमें एकीकृत इस्पात संयंत्र और माध्यमिक सुविधाएं दोनों शामिल हैं। भारतीय बैंक संघ के मुख्य कार्यकारी श्री सुनील मेहता के नेतृत्व में वित्त मामले में टास्क फोर्स ने भारतीय इस्पात उद्योग के डीकार्बोनाइजिंग के लिए वित्तपोषण विकल्पों पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए। विद्युत मंत्रालय और एमएनआरई के वरिष्ठ श्री अनिरुद्ध कुमार के नेतृत्व में नवीकरणीय ऊर्जा पारेषण कार्य बल ने इस्पात उद्योग में नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण की समीक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने हेतु प्रोत्साहन और उद्योगों को कैप्टिव नवीकरणीय ऊर्जा सुविधाएं स्थापित करने जैसे उपायों को अपनाने के लिए नीति चालकों का भी प्रस्ताव रखा ।

जानी-मानी सार्वजनिक नीति और कौशल विकास विशेषज्ञ सुश्री  सुनीता सांघी के नेतृत्व में कौशल विकास कार्य बल ने यथोउचित परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए इस्पात उद्योग की जनशक्ति के कौशल संवर्धन और री-स्किलिंग जैसी क्षमताओं की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। उन्होंने विशेष रूप से माध्यमिक इस्पात क्षेत्र में उद्योग की उभरती कौशल मांगों को पूरा करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों के गठन और उन्हें सशक्त बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

सेल के स्वतंत्र निदेशक श्री अशोक कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में ऊर्जा दक्षता कार्य बल ने एकीकृत इस्पात संयंत्रों और माध्यमिक इस्पात उद्योगों दोनों के लिए ऊर्जा दक्षता समाधान को बढ़ावा देने की सिफारिशें कीं। सीएसआईआर के तहत राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला के पूर्व निदेशक डॉ. इंद्रनील चट्टोराज के नेतृत्व में प्रक्रिया पारेषण कार्यबल ने डायरेक्ट रिड्यूस्ड लौह संयंत्रों में कोयला आधारित फीडस्टॉक की बजाय प्राकृतिक गैस और सिनगैस के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया जिसका लक्ष्य इन सुविधाओं से कार्बन उत्सर्जन को कम करना है।

भारत में हरित इस्पात उत्पादन के लिए प्रारूप निर्धारित करने हेतु 13 कार्य बल

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य एम.सिंधिया के नेतृत्व और मार्गदर्शन में इस्पात मंत्रालय ने इस्पात क्षेत्र और हरित इस्पात उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उद्योग, शिक्षा जगत, थिंक टैंक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों, विभिन्न मंत्रालयों एवं अन्य हितधारकों को शामिल करते हुए कार्बन उत्सर्जन को न्यून करने पर विचार-विमर्श और सिफारिश करने हेतु 13 टास्क फोर्स का गठन किया था। ग्लासगो में सीओपी26 में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा घोषित पंचामृत लक्ष्यों की दिशा में भारत के इस्पात क्षेत्र का मार्गदर्शन करने में श्री सिंधिया का दृष्टिकोण महत्वपूर्ण रहा है। दूरदर्शी नेतृत्व और सहयोगात्मक प्रयासों के साथ, इन सिफारिशों का लक्ष्य भारत में स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल इस्पात उत्पादन के एक नए युग का शुभारंभ करना है।

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