हिन्दू संगठनों ने जन्तर मन्तर पर प्रदर्शन के ओड़िशा के वीर सपूत धर्मरक्षक श्री दारा सिंह को गणतन्त्र दिवस पर रिहा करने की मांग की।

दिल्ली

दारा सेना अध्यक्ष श्री मुकेश जैन की असंवैधानिक गिरफ्तारी के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय दापर याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग।

धर्मरक्षक श्री दारा सेना, यूनाईटेड हिन्दू फ्रन्ट अखिल भारत हिन्दू महासभा सहित दर्जन भर हिन्दू संगठनों ने जन्तर मन्तर पर प्रदर्शन किया। हिन्दू संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति जी को ज्ञापन देकर अनुरोध किया कि महामहिम 22 साल से ओड़िशा जेल में बन्द धर्मरक्षक श्री दारा सिंह और नेताजी महेन्द्र हेम्ब्रेम को संविधान के अनुच्छेद 72 में मिले अधिकार के तहत क्षमा करते हुए उन्हें इसी गणतन्त्र दिवस पर रिहा करने की कृपा करें।

प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए दारा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश जैन ने कहा इस मामले में धर्मरक्षक श्री दारा सिंह और उनका साथी नेताजी महेन्द्र हेम्बम पिछले 22 साल से ओडिशा की क्योंझर और आनन्दपुर जेल में बन्द है। ओडिशा सरकार के सजा माफी बोर्ड द्वारा बार बार यह बता कर कि इन्होंने बच्चों को मारा है, इन देशभक्तों को नहीं छोड़ा जा रहा है। जबकि भारतीय कानून में कहीं भी नहीं लिखा है कि बच्चों को मारने वालों को 14 साल के बाद भी नहीं छोड़ा जाएगा। भारतीय दंड विधान की धारा 55 और 57 और दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 31क, 432 और 433 बारम्बार यही कह रही है कि किसी भी कैदी को 14 4 साल से अधिक जेत में नहीं रखा जायेगा। श्री जैन ने कहा कि ओडिशा के स्वामी लक्ष्मणानन्द के ईसाई हत्यारों को 10 साल बाद छोड़ दिया गया ऐसे में धार्मिक आधार पर इतना बड़े भेदभाव को रोकने के लिये भी धर्मरक्षक श्री दारा सिंह को भी रिहा करना जरूरी है। हाल ही में 3 अगस्त 2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने क्रिमिनल अपील नं. 721/2021 में महामहिम राष्ट्रपति जी और राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 72 और 161 के तहत मिती शक्तियों का उल्लेख करते हुए फैसला दिया कि इन्हें किसी भी केदर्दी को समय पूर्व छोड़ने का अधिकार संविधान ने दिया है।

इस अवसर पर हिन्दू संगठनों ने दारा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश जैन पर आओडिशा पुलिस और वकीलों द्वारा पूरी रथ यात्रा मामले में एक ही व्हाटसअप संदेश पर 4 मुकदमें चलाये जाने को संविधान के अनुच्छेद 20.2 का सरासर उल्लंघन बताया। क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 20.2 के अनुसार किसी व्यक्ति को एक अपराध के लिये एक से अधिक बार अभियोजित और दण्डित नहीं किया जायेगा।

श्री जैन के सर्वोच्च न्यायालय के विख्यात वकील श्री ए पी सिंह ने कटक जिला न्यायालय की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दिनांक 3-8-22 को दिये फैसले में संविधान के अनुच्छेद 20.2 में लिखित अभियोजन शब्द को जानबूझ कर काटकर यह फैसला देना कि एक अपराध के लिये 4 मुकदमें चलाये जायेंगे। हम सजा देते समय तय करेंगे कि एक अपराध में 4 सजा नहीं दी जाये, गलत बताया। हिन्दू संगठनों ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री धनन्जय पंधावन्त चन्द्रचूड़ जी ओड़िशा के

महामहिम राज्यपाल श्री रघुवर दास जी और मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक और कटक के जिला उज को ज्ञापन देकर अनुरोध किया कि वे कटक की मजिस्ट्रेट साहिबा द्वारा संविधान में छेड़छाड़ और काट – छाट करके दिये फैसले की जांच सक्षम ऐजेन्सी से कराकर श्री मुकेश जैन को संविधान प्रदत्त व्याय प्रदान करें। इसी के साथ हिन्दू संगठनों ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश श्री यशवन्त धनन्जय बन्द्रचूड़ साहब से अनुरोध किया कि वे सर्वोच्च न्यायालय में डायरी संख्या 41926/2023 के तहत श्री मुकेश जैन द्वारा दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई करके श्री जैन के मूल अधिकार 202 का हनन् रोकने की कृपा करें।

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