आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के अधीन नवरत्न सीपीएसई एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड ने दिनांक 23 सितंबर, 2025 को आयोजित सफल भूमि पूजन समारोह के बाद, दिल्ली विश्वविद्यालय, नॉर्थ कैंपस में इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस (आईओई) के निर्माण के शुरुआत की घोषणा की।
इस कार्यक्रम में श्री योगेश सिंह, माननीय कुलपति, दिल्ली विश्वविद्यालय; डॉ. विकास गुप्ता, कुल सचिव, दिल्ली विश्वविद्यालय; प्रोफेसर बलराम पाणि, महाविद्यालयों के अधिष्ठाता; प्रोफेसर रजनी अब्बी, प्रॉक्टर, दिल्ली विश्वविद्यालय और श्री के.पी. महादेवास्वामी, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एनबीसीसी; श्री सलीम अहमद, निदेशक (परियोजनाएं), एनबीसीसी तथा श्री राजीव कुमार, मुख्य महाप्रबंधक, एनबीसीसी के साथ-साथ दोनों संगठनों के गण्यमान्य व्यक्ति और अधिकारीगण उपस्थित रहे।
दिल्ली विश्वविद्यालय के मौरिस नगर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस के लिए अंतर-अनुशासनात्मक शैक्षिक, प्रशासनिक और अनुसंधान भवन का विकास एनबीसीसी द्वारा 4.8 एकड़ भूमि पर लगभग 330 करोड़ रुपये की अनुमोदित लागत से किया जाएगा। हरित और भविष्य के लिए तैयार अवसंरचना के मॉडल के रूप में परिकल्पित यह परियोजना, संधारणीय संस्थागत विकास में सर्वोत्तम कार्यपद्धतियों का उदाहरण प्रस्तुत करेगी।
3-स्टार गृहा रेटिंग प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ, यह सुविधा संपूर्ण भारत में शैक्षिक परिवेश में पर्यावरणीय दृष्टिकोण से उत्तरदायी निर्माण हेतु नया मानदंड स्थापित करेगी। नए शैक्षिक भवन का निर्मित क्षेत्रफल लगभग 4.55 लाख वर्ग फुट होगा, जिसमें बेसमेंट + ग्राउंड + 7 मंजिलें होंगी तथा भवन की ऊंचाई लगभग 35.5 मीटर होगी। इस भवन से परिसर की सुविधाओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी तथा इसकी क्षमता बढ़कर 1800 छात्रों (लगभग) तक हो जाएगी। विस्तारित अवसंरचना में निदेशक और संबद्ध कार्यालय, 9 व्याख्यान कक्ष (100 पैक्स), 16 क्लास रूम (65 पैक्स), 2 संगोष्ठी हॉल (150 पैक्स), एक आधुनिक पुस्तकालय, 6 बहुउद्देशीय कमरे, शिक्षकों के लिए 75 कार्यालय स्थान, 16 बैठक कक्ष, 11 आधुनिक प्रयोगशालाएं शामिल होंगी, जिन्हें विश्वविद्यालय के जीवंत सांस्कृतिक, मनोरंजन और शैक्षिक परिवेश का सहयोग करने हेतु डिज़ाइन किया गया है।
संधारणीयता और नवोन्मेष की मूल भावना
आईओई परियोजना उच्च शिक्षा की उभरती ज़रूरतों के लिए एक एकीकृत प्रतिक्रिया है, जो पारिस्थितिक उत्तरदायित्व को वास्तुशिल्प नवोन्मेष के साथ जोड़ती है। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- 500,000 लीटर क्षमता वाली वर्षा जल संचयन प्रणाली
- 75 किलोवाट रूफटॉप सौर ऊर्जा संस्थापना
- साइट पर अपशिष्ट प्रबंधन के लिए जैविक अपशिष्ट कनवर्टर
- ऊर्जा-कुशल फिक्सचर्स, जिनमें एलईडी लाइटिंग और सौर ऊर्जा चालित स्ट्रीट लाइट्स शामिल हैं
- इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए 30 चार्जिंग स्टेशन
- 20% हरित कवरेज, एकीकृत परिदृश्य विशेषताएँ और मौजूदा वृक्षों का संरक्षण
- मौजूदा पेड़ों के आसपास निर्माण की डिज़ाइनिंग
भविष्य के लिए तैयार शैक्षिक सुविधाएं
संस्थान में स्मार्ट कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों, बैठक कक्षों और सहयोगात्मक स्थानों सहित कई लचीले शिक्षण वातावरण प्रदान किया जाएगा। निम्नलिखित पर विशेष ध्यान दिया गया है:
- अनुकूलनशीलता के लिए मॉड्यूलर लेआउट
- सुगम्यता और चौड़े गलियारे
- परस्परिक मेलजोल के लिए सेंट्रल कोर्टयार्ड और लैंडस्केप प्लाज़ा
- तापीय प्रभाव को बेहतर बनाने के लिए धूप से बचाव और पैसिव डिज़ाइन
- दीर्घकालिक अनुकूलता के लिए कम रखरखाव वाली, टिकाऊ सामग्री
- भूतल पर पुस्तकालय और कैफेटेरिया होगा तथा पहले से चौथी मंजिल पर प्रयोगशालाएं, कक्षाएं, व्याख्यान/बहुउद्देशीय हॉल होंगे। पांचवीं से सातवीं मंजिल पर स्टाफ रूम, भोजनालय और मीटिंग कक्ष आदि के लिए स्थान उपलब्ध होंगे।
- पार्किंग प्रावधानों में लगभग 300 वाहनों हेतु स्थान शामिल हैं जिसमें बेसमेंट पार्किंग भी शामिल है, जिससे परिचालन दक्षता को समर्थन देते हुए भूमि उपयोग को अनुकूलित किया जा सकेगा
दिल्ली विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस परियोजना की शुरुआत के साथ, एनबीसीसी अवसंरचना के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है जो न केवल डिज़ाइन और कार्यक्षमता के उच्चतम मानकों को पूरा करता है बल्कि संधारणीय विकास और विश्व-स्तरीय शिक्षा के लिए राष्ट्र के दृष्टिकोण के अनुरूप भी है।