नई दिल्ली
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 138वें स्थापना दिवस के मौके पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में कांग्रेस का झंडा फहराया और कांग्रेस सेवादल के कार्यकर्ताओं द्वारा वंदेमातरम एवं राष्ट्रगान भी गाया गया। चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि कांग्रेस एक विचार धारा का नाम है जिसने भारत को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई। 28 दिसम्बर, 1885 को स्थापित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक आंदोलनों में से एक बन गई, जिसने स्वतंत्रता के लिए अद्वितिय अहिंसक संघर्ष के बल पर देश को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता दिलाई।
कांग्रेस स्थापना दिवस पर ध्वजारोहण के अवसर पर चौ0 अनिल कुमार के अलावा पूर्व सांसद श्री रमेश कुमार, पूर्व विधायक एवं कम्यूनिकेशन विभाग के चेयरमैन श्री अनिल भारद्वाज, पूर्व विधायक श्री विजय लोचव, श्री वीर सिंह धींगान, सेवादल में मुख्य संगठक श्री सुनील कुमार, जिला अध्यक्ष एडवोकेट दिनेश कुमार, आदेश भारद्वाज, मदन खोरवाल, गुरचरण सिंह राजू, राजेश चौहान, सतवीर शर्मा, राजेश गर्ग सहित जिला एवं ब्लाक अध्यक्ष, निगम पार्षद, पूर्व निगम पार्षद, चुनाव लड़े प्रत्याशी, ब्लाक अध्यक्ष सहित अग्रिम संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भी मौजूद थे।
चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि भारत के मूल सिद्धांतों पर लगातार हमले हो रहे है और पूरे देश को नफरत की खाई धकेला जा रहा है। देश की जनता बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक संकट के कारण अजीविका पालन के लिए मुश्किलों का सामना कर रही है जिसकी मोदी सरकार को कोई परवाह नही है। उन्होंने कहा कि देश में बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई, नफरत, साम्प्रदायिकता, तानाशाही सरकार के देश विरोधी निर्णयों के खिलाफ देश और देशवासियों के हितों की रक्षा के लिए श्री राहुल गांधी जी द्वारा निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा को मिल रहे आपार समर्थन से मोदी सरकार की जड़े हिल चुकी है।
चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि देश को आजादी दिलाने वाली कांग्रेस पार्टी ने 55 वर्षों तक शासन करके आधुनिक भारत को दुनिया में पहचान दिलाकर देश को प्रगति और विकास की राह दिखाई, जिसकी आधारशिला पर आज भाजपा दुनिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व का आधारहीन बखान कर रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार व केन्द्र में भाजपा की केन्द्र सरकार ने वर्गीकरण की राजनीति पर बल दिया है, इन्हें देश और दिल्लीवासियों के अधिकारों और हितों की रक्षा करने से कोई सरोकार नही है। धर्म, जाति, भाषा और वर्ग विशेष को आधार बनाकर राजनीति करना इनका मूल उदेश्य है, जिसके कारण देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई लगातार बढ़ रही है।