महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण के इतिहास में उत्तरप्रदेश के ऐसे अनोखे कीर्तिमान हैं,जो कभी टूट नहीं सकते

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उनके सम्मान में आयोजित नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम में सम्मिलित हुईं। इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि पदभार ग्रहण करने के बाद यह लखनऊ की उनकी पहली यात्रा है। उन्होंने भव्य स्वागत के लिए मुख्यमंत्री जी का आभार प्रकट किया।राष्ट्रपति जी ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश के लगभग 25 करोड़ निवासियों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने तथा देश की प्रगति में प्रभावी योगदान देने की दृष्टि से आयोजित यू0पी0 ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट में आमंत्रण देकर इस महान राज्य की विकास-गाथा से उनको जोड़ा है। विश्व की जनसंख्या में भारत का जो हिस्सा है, लगभग उतना ही हिस्सा भारत की आबादी में उत्तर प्रदेश का है। भारत सहित केवल पांच देशों की आबादी, उत्तर प्रदेश से अधिक है। इतने बड़े प्रदेश के उद्यमी और निष्ठावान लोग, नई ऊर्जा के साथ, नए भारत के निर्माण में कार्यरत हैं, जो भारत के स्वर्णिम भविष्य के लिए आश्वस्त करता है।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि बाबा विश्वनाथ की काशी, प्रभु श्रीराम की अयोध्या, योगेश्वर श्रीकृष्ण की मथुरा तथा भगवान बुद्ध के सारनाथ से निकलने वाली भारत की परम्पराएं और भाव-धाराएं सभी देशवासियों को एक सूत्र में जोड़ती हैं। महान ऋषि-मुनियों की संगम-स्थली नैमिषारण्य, बाबा गोरखनाथ की तपस्थली गोरखपुर, संत कबीर की मुक्ति स्थली मगहर तथा उत्तर प्रदेश के अनेक पवित्र स्थलों में भारत की आध्यात्मिक शक्ति का उत्कर्ष देखा गया है। ऐसे पवित्र स्थानों की आध्यात्मिक ऊर्जा युगों-युगों तक देश को शक्ति प्रदान करती रहेगी। उत्तर प्रदेश को गंगा, यमुना, सरयू, गोमती, घघरा, गंडक, केन, बेतवा, राप्ती और सोन जैसी अनेक नदियों का आशीर्वाद मिलता रहा है। इन नदियों ने उत्तर प्रदेश को जल के साथ-साथ उपजाऊ भूमि का प्राकृतिक उपहार भी दिया है। भारतीय परम्परा के अनुसार हम इन नदियों को नमन करते हैं तथा उन्हें अविरल और शुद्ध बनाए रखने का संकल्प लेते हैं।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि प्रयागराज में गंगा-यमुना के संगम पर कुम्भ का आयोजन प्राचीन काल से एक प्रमुख धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन रहा है। वर्ष 2017 में यूनेस्को ने प्रयागराज कुम्भ मेला को विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता प्रदान की है। वर्ष 2019 में प्रयागराज कुम्भ के अत्यंत विशाल और उत्कृष्ट आयोजन ने समस्त विश्व समुदाय पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। विशालता और उत्कृष्टता कायह संगम उत्तर प्रदेश के अनेक बड़े प्रकल्पों में दिखाई देता है। इसके लिए मैं राज्य सरकार और सभी निवासियों की सराहना करती हूं।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि गोमती के किनारे बसा लखनऊ शहर  प्राचीन कोसल साम्राज्य का महत्वपूर्ण हिस्सा था। यह कहा जाता है कि इस शहर का नाम भगवान राम के अनुज, लक्ष्मण जी के नाम पर पड़ा था। उन्नीसवीं सदी के अंत तक इस शहर को लखनऊ कहने की परम्परा चली आ रही थी। यह नगर एक ओर हमारी प्राचीनतम परम्पराओं से जुड़ा है, तो दूसरी ओर मध्यकाल और आधुनिक युग में भी संस्कृति, साहित्य, राजनीति तथा कला-कौशल का प्रमुख केंद्र रहा है। लखनऊ में श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी का सहज ही स्मरण होता है। ग्वालियर में पले बढ़े अटल जी की जीवन गाथा में आगरा, कानपुर, बलरामपुर और लखनऊ अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। अर्थव्यवस्था के विकास के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक प्रगति का न्यायपूर्ण और समावेशी होना भी अनिवार्य है। समाज के सभी वंचित वर्गाें और महिलाओं को समावेशी विकास की परिधि में लाना हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता है। महिलाओं के सशक्तीकरण द्वारा आधुनिक उत्तर प्रदेश आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, यह मेरा विश्वास है।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण के इतिहास में उत्तर प्रदेश के ऐसे अनोखे कीर्तिमान हैं, जो कभी टूट नहीं सकते हैं। वर्ष 1947 में श्रीमती सरोजिनी नायडू को देश की पहली महिला राज्यपाल और वर्ष 1963 में श्रीमती सुचेता कृपलानी को देश की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का ऐतिहासिक गौरव उत्तर प्रदेश में ही प्राप्त हुआ। उसके बाद, वर्ष 1972 में महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव मेरी जन्म-स्थली ओडिशा में श्रीमती नंदिनी सत्पथी को प्राप्त हुआ। कालान्तर में सुश्री मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। कुछ अन्य राज्यों में भी महिलाओं को राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। वर्ष 2014 में गुजरात की मुख्यमंत्री नियुक्त होने वाली श्रीमती आनंदीबेन पटेल आज उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं। उनका कुशल और स्नेहिल मार्गदर्शन मिलना सभी का सौभाग्य है। ऐसी जन-सेवाओं से प्रेरणा लेकर मेरी पीढ़ी की बहनें भी साहस के साथ आगे बढ़ी हैं। मुझे विश्वास है कि आने वाली पीढ़ियों की बेटियां कई क्षेत्रों में और अधिक आगे बढ़ेंगी। इन तथ्यों का उल्लेख करने के पीछे मेरी यह आकांक्षा है कि उत्तर प्रदेश महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में नए प्रतिमान स्थापित करे।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि 12 मार्च, 2021 को शुरु किया गया आजादी का अमृत महोत्सव सभी  देशवासी मना रहे हैं। मेरठ छावनी के बहादुर सिपाहियों ने 1857 की स्वाधीनता समर का बिगुल बजाया था। उस संग्राम में लखनऊ से बेगम हजरत महल तथा कानपुर से नाना साहब और तात्या टोपे मोर्चा संभाल रहे थे। उस स्वाधीनता संग्राम में अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम देश की महानतम वीरांगनाओं में सदा अमर रहेगा। 20वीं सदी में क्रान्ति की मशाल को जलाए रखने वाले राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, चंद्रशेखर आजाद, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, दुर्गा भाभी और इस धरती की अनेक संतानों के शौर्य से पूरे देश में प्रेरणा का संचार हो रहा था। स्वाधीनता सेनानी की गौरव-गाथा का परिचय देने वाले चार शहीद स्मारक गोरखपुर में स्थित हैं, जिनका प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री जी करते रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी ने इस  अवसर पर  संबोधित करते हुए कहा कि स्वाधीनता के अमृतकाल वर्ष में सभी के लिए यह अत्यंत गौरव की बात है कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी के रूप में हमारे देश को ऐसी राष्ट्रपति मिली हैं जिनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व वंचितों और नारी शक्ति के लिए प्रेरणादायी है। श्रीमती मुर्मु जी देश के राष्ट्रपति पद को संभालने वाली भारत गणराज्य की सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति हैं। इन्होंने एक अध्यापिका के रूप में अपने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत की उसके बाद समाज सेवा का बीड़ा उठाकर धीरे-धीरे राजनीति में आईं। श्रीमती मुर्मु जी का जीवन संघर्ष, सेवा, समर्पण और सादगी की मिसाल है। इनका जीवन इसलिए अधिक प्रेरणा का स्रोत है क्योंकि इन्होंने जीवन में तमाम अभाव सहते हुए भी समाज सेविका, विधायक, मंत्री, राज्यपाल और फिर देश के सर्वोच्च पद पर पहुंची। राष्ट्रपति जी की पृष्ठभूमि चुनौतियों से संघर्ष करते हुए स्वावलंबन और दृढ़ विश्वास से आगे बढ़ना रहा है यह इस बात का भी परिचायक है कि आदिवासी समाज से होना किसी भी महिला के लिए रोड़ा नहीं बल्कि एक अवसर है। इन्होंने जनजाति समुदाय का ना केवल गौरव बढ़ाया बल्कि यह संदेश भी दिया है की काबिलियत किसी जाति विशेष की मोहताज नहीं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की राष्ट्रपति मा0 श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी के  प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रथम आगमन पर आयोजित नागरिक अभिनन्दन समारोह में सम्मिलित होकर सबको अपार हर्ष हो रहा है। राष्ट्रपति जी का प्रदेश की जनता, राज्य सरकार तथा अपनी ओर से हृदय से स्वागत एवं अभिनन्दन करता हूं। भारत के लोकतंत्र के लिए यह गौरव की बात है कि एक आदिवासी महिला नेत्री आज भारतीय गणतंत्र के सर्वोच्च पद पर आसीन है। यह हमारी मातृ शक्ति का सम्मान है। श्रीमती मुर्मु जी देश की ऐसी प्रथम राष्ट्रपति भी हैं जिनका जन्म स्वाधीन भारत में हुआ है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार राज्य के सभी  क्षेत्रों एवं सभी वर्गाें के कल्याण के लिए ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के मूलमंत्र के दृष्टिगत रखते हुए कार्य कर रही है। अन्त्योदय के संकल्प के साथ प्रदेश सरकार गांव, गरीब, किसान, मजदूर, महिला और नौजवान सहित सभी वर्गाें के हितों के प्रति संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि जब मैं आपके समक्ष अपने विचार व्यक्त कर रहा हूं, तब उन्हें 25 जुलाई, 2022 को भारत के राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के अवसर पर आपका उद्बोधन याद आ रहा है। इसमें श्री जगन्नाथ क्षेत्र के एक प्रख्यात कवि भीम भोई जी की कविता की एक पंक्ति को उधृत किया-‘मो जीवन पछे नर्के पड़ी थाउ, जगत उद्धार हेउ’ अर्थात अपने जीवन के हित-अहित से बड़ा जगत कल्याण के लिए कार्य करना होता है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अमृत काल के प्रथम वर्ष में भारत को जी-20 समूह की एक वर्ष के लिए अध्यक्षता करने का अवसर मिला है। भारतीय मनीषा की वसुधैव कुटुम्बकम की सोच के अनुरूप जी-20 की थीम ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ निर्धारित की गयी है। यह सरकार उत्तर प्रदेश को प्रत्येक दृष्टि से उत्तम प्रदेश बनाने के लिए कृत संकल्पित है।

इसके पूर्व उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के कलाकारों द्वारा राष्ट्रपति जी के सम्मान में स्वागत गीत प्रस्तुत किया। इस दौरान राज्यपाल ने अंगवस्त्र देकर राष्ट्रपति जी का स्वागत किया तथा मुख्यमंत्री जी ने स्मृति चिन्ह देकर उनका सम्मान किया।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के संस्कृति और रंगमंच कर्मियों ने  ओ0डी0ओ0पी0 योजना के अंतर्गत निर्मित अलीगढ़ की नटराज की कांस्य प्रतिमा, स्वयं सहायता समूह के प्रतिनिधियों ने सीतापुर की दरी व बाराबंकी का शहद, प्रगतिशील कृषक और काश्तकार समूह ने सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल और अयोध्या का गुड़, शिल्पकार समूह ने ओ0डी0ओ0पी0 योजना के अंतर्गत जनपद बहराइच में बना उत्पाद, प्रोफेशनल समूह द्वारा बनारसी साड़ी  देकर राष्ट्रपति जी का अभिनंदन किया।

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