वर्तमान हरियाणा सरकार ने गीता जयंती कार्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने का काम किया – मुख्यमंत्री

नई दिल्ली
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार मनुष्य निर्माण पर ध्यान दे रही है और इसी कड़ी में शिक्षा में नैतिकता और इतिहास की अच्छी बातों को आगे बढाने पर फोकस किया जा रहा है। मुख्यमंत्री दिल्ली विश्वविद्यालय के खेल परिसर के बहुउदेशीय हाल में आर्ट आफ लिविंग तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के सौजन्य से आयोजित ध्यान एवं मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष व्याख्यान ‘‘हर घर ध्यान’’ कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थितजनों को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में आर्ट आफॅ लिविंग के संस्थापक पदम विभूषण श्रद्धेय गुरूदेव श्री श्री रवि शंकर जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गीता एक ऐसा ग्रंथ हैं जो अपने आपमें जीवन के मूल्यों का सार है और गीता का संदेश युद्ध के मैदान में दिया गया था जो आज भी पूरी दुनिया के लिए सार्थक है। उन्होंने कहा कि हरियाणा का सौभाग्य है कि यह गीता का संदेश कुरूक्षेत्र के थानेसर की धरती पर दिया गया। श्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा के प्रत्येक जिला व खण्ड स्तर पर गीता के संदेश व शिक्षा को पहुंचाने के लिए गीता जयंती मनाई जाती है और कुरूक्षेत्र में यह कार्यक्रम 18 दिनों तक मनाया जाता है ताकि जीवन मूल्यों के प्रति लोगों का जागरूक किया जा सकें। उन्होंने कहा कि गीता जंयती कार्यक्रम को हमारी सरकार ने अंतर्राश्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने का काम किया है जिसके तहत इंग्लैंड, कनाडा और मॉरीसिस इत्यादि देशों में गीता जयंती को मनाया गया है। उन्होंने बताया कि अगले माह ही आस्ट्रेलिया में गीता जयंती कार्यक्रम मनाया जाएगा।

ध्यान और शांति का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अतीत से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है और दुनिया को शांति का संदेश दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम ‘तेरा है, मेरा है’, को छोडकर देश और प्रदेश को एक परिवार के रूप में देखेंगें तो देश व प्रदेश आगे बढेगा। तनाव से मुक्ति पाने के संबंध में उन्होंने कहा कि प्रांरभिक रूप से ध्यान को अपने जीवन में धारण करने से तनाव से मुक्ति पाई जा सकती है। इसके अलावा, योग व ध्यान से तनाव को समाप्त किया जा सकता है। श्री मनोहर लाल ने कहा कि आज हम आधुनिक जीवन में काफी तरक्की कर गए हैं और बड़ी-बड़ी मशीनरी और हथियार बना रहे हैं, लेकिन अगर सू़झ-बूझ नहीं रखेंगें तो इनको संभालना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इन सभी चीजों को नियंत्रित करने के लिए योग, ध्यान और शांति आवष्यक रूप से हमारे में होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने गीता के शलोक कर्मण्ये वाधिकारस्ते, मा फलेशु कदाचनैं का व्याख्यान करते हुए कहा कि कर्म करते जाओ, फल की चिंता मत करों। उन्होंने अपने जीवन में हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ‘‘हमें क्या करना है, हमें क्या बनना है’’ इन दो वाक्यों के बीच का फासला बहुत कम है परंतु करना और बनना से जीवन के तनाव को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने करना और बनना के बीच के अर्थ को समझाते हुए कहा कि जो हमें करना है उसकी चिंता नहीं की जाती और वह तनाव भी नहीं करता लेकिन जो हमें बनना है वो तनाव करता है क्योंकि हम हर पल यही सोचते रहते हैं कि मुझे फलां जैसे कि डाक्टर, इंजिनियर इत्यादि बनना है, हम उसकी चिंता में तनावग्रस्त हो जाते हैं। इसलिए जब मैं साल 1980 में दिल्ली में आरएसएस में था जो मुझे करना और बनना के बीच का फर्क समझ आ गया है और मैंने सोच लिया कि मैंने देश की सेवा करनी है। उसके बाद मुझे कभी भी तनाव नहीं हुआ क्योंकि मुझे क्या करना है यह पता चल गया था।

उन्होंने कहा कि तनाव को खत्म करने के लिए प्रारंभिंक रूप से हर घर ध्यान जरूरी है और ध्यान व विचार से तनाव दूर किया जा सकता है इसलिए प्रांरभिंक जीवन में दिशा तय करने से तनाव घटेंगें। उन्होंने कहा कि मुष्किलों को पार करने से बहुत से रास्ते निकल आते हैं। इसके अलावा, उन्होंने अपने बचपन व युवावस्था के दौरान के अनुभवों को भी सांझा किया और बताया कि 47 साल पहले वर्ष 1975 में उन्होंने दिल्ली विष्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री की थी और यह डिग्री उन्हें आज दिल्ली विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह द्वारा प्रदान की गई है जिसके लिए वे दिल्ली विष्वविद्यालय के सभी स्टाफ सदस्यों व कुलपति के आभारी है।

मुख्यमंत्री ने दिल्ली विष्वविद्यालय द्वारा मनाये जा रहे शताब्दी समारोह-हर घर ध्यान कार्यक्रम के लिए अपनी ओर से बधाई व षुभकामनाएं भी दी। इसके उपरांत, आर्ट आफॅ लिविंग के संस्थापक पदम विभूशण ऋदेय गुरूदेव श्री श्री रवि शंकर ने अपने संबोधन में तनाव को दूर करने के संबंध में कहा कि हमारे देश में बहुत साल पहले मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया जाता था। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में हर 40 सेंकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। इसी प्रकार, अमेरिका में साल 2022 में 400 डाक्टरों ने आत्महत्या की। उन्होंने कहा कि इन सबके पीछे तनाव सबसे बडा कारण है इसलिए ध्यान करने से तनाव कम होता है और मानसिक स्फूर्ति भी मिलती है। उन्होंने कहा कि जिंदगी के क्षणों को ऐसे जियो कि ‘‘हसंते रहो और हसांओ, मत फंसो और न फंसाओं’’। उन्होंने कहा कि ध्यान करने से 100 से अधिक लाभ हमारे शरीर को प्राप्त होते हैं। इससे नशे और हिंसा से भी बचा जा सकता है क्योंकि ध्यान सबको जोडता है और अपनो से मिलाता है। उन्होंने कहा कि हम सभी को मिलकर साकारात्मक ऊर्जा का सृजन करना है और साकारात्मकता से सुंदर समाज का निर्माण करना है और खुषियों को फैलाना है।

इस मौके पर आर्ट आफॅ लिविंग के संस्थापक पदम विभूषण श्रद्धेय गुरूदेव श्री श्री रवि शंकर ने 22 मिनट तक उपस्थितजनों को ध्यान का अभ्यास करवाया और कुछ उपस्थितजनों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए। जिसके तहत मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने भी एक प्रष्न गुरूदेव से त्रटाक के संबंध में पूछा जिस पर उन्होंने बताया कि त्रटाक ध्यान के भीतर बदल जाता है क्योंकि यह हठ योग का अंग है। त्रटाक का अंत ध्यान है परंतु त्रटाक से 6 गुणा ज्यादा विश्राम करना पडता है।

इससे पहलें, दिल्ली विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने मुख्यमंत्री को 47 सालों के बाद उनकी डिग्री उन्हें सौंपी और मुख्यमंत्री की तारीफ करते हुए कहा कि मनोहर लाल जी एक अपराईट मुख्यमंत्री हैं अर्थात बहुत ही समझदार हैं। उन्होंने कहा कि यह हरियाणा में पहली बार विधायक बनें और पहली ही बार में प्रदेष के मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद इन्होंने दोबारा से राज्य में अपनी सरकार बनाई। इस मौके पर प्रो. के.पी. सिंह और प्रो. विकास गुप्ता ने भी उपस्थितजनों को संबोधित किया। कार्यक्रम के दौरान दिल्ली विष्वविद्यालय और आर्ट आफ लिविंग के बीच ‘हर घर ध्यान’ के लिए एक समझौता भी किया गया। कार्यक्रम में विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने आर्ट आफॅ लिविंग के संस्थापक पदम विभूशण श्रद्धेय गुरूदेव श्री श्री रवि शंकर, मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल को अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह, गीता और विष्वविद्यालय की स्मारिका भेंट की।

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