शराब नीति मामले में जेल में बंद दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर CBI ने नया केस दर्ज किया है। यह केस दिल्ली सरकार की फीडबैक यूनिट (FBU) में कथित भ्रष्टाचार को लेकर है।
CBI का दावा है कि गैरकानूनी तरीके से फीडबैक यूनिट को बनाने और चलाने से सरकारी खजाने को 36 लाख रुपए का घाटा हुआ है। इस यूनिट पर विरोधी पार्टी के नेताओं, अधिकारियों और ज्यूडिशयरी मेंबर्स की जासूसी का भी आरोप है।
2015 में यूनिट बनी, 2016 में केस हुआ
फीडबैक यूनिट केजरीवाल सरकार ने 2015 में सत्ता में आने के बाद बनाई थी। 2016 में विजिलेंस डिपार्टमेंट के एक अधिकारी केसी मीणा ने FBU को लेकर शिकायत की थी जिसके बाद मामले में जांच शुरू हुई थी।
पिछले महीने ही गृह मंत्रालय ने CBI को इस मामले में मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की परमिशन दी थी। CBI का कहना है कि यूनिट राजनीतिक जानकारियां इकट्ठी करती थी। यूनिट की 40% रिपोर्ट इन्हीं जानकारियों के बारे में थीं।
सिसोदिया समेत 7 लोगों पर दर्ज हुआ मुकदमा
इस मामले में सिसोदिया के अलावा तत्कालीन विजिलेंस सेक्रेटरी सुकेश कुमार जैन, CISF के रिटायर्ड DIG राकेश कुमार सिन्हा, इंटेलीजेंस ब्यूरो के रिटायर्ड जॉइंट डिप्टी डायरेक्टर प्रदीप कुमार पुंज, CISF के रिटायर्ड असिस्टेंट कमांडेंट सतीश खेत्रपाल और गोपाल मोहन के खिलाफ भी प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
आरोपियों पर संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग, आपराधिक साजिश और धोखा देने के लिए जालसाजी करने समेत कई आरोप लगाए हैं।
जानकारी और फीडबैक इकट्ठा करती थी यूनिट
ये यूनिट दिल्ली सरकार के विजिलेंस डिपार्टमेंट के तहत बनाई गई थी। उस समय विजिलेंस डिपार्टमेंट मनीष सिसोदिया के जिम्मे था। इस यूनिट को दिल्ली सरकार के तहत आने वाले सरकारी विभागों और संस्थाओं के बारे में जानकारी और फीडबैक जुटाने के लिए बनाया गया था। इसके कामों में स्टिंग ऑपरेशन करना और सरकारी अधिकारियों को रंगे हाथों पकड़ना भी शामिल था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस यूनिट पर सीएम केजरीवाल का सीधा कंट्रोल था। इसमें काम करने वाले ज्यादातर लोग इंटेलिजेंस ब्यूरो और सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्स से रिटायर्ड अधिकारी थे।