BSP को जड़ से खत्म करने की तैयारी में अखिलेश

देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होना है। इस चुनाव के लिए देश के सभी बड़े सियासी दल काफी पहले से ही तैयारियां शुरू कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय दल अपने तरकश के हर बाण का इस्तेमाल करना चाहते हैं। पिछले चुनाव में बसपा के साथ किस्मत आजमाने वाली समाजवादी पार्टी इस बार उनके बिना सियासी रण में उतरने की बात स्पष्ट कर चुकी है।

यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बाद दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी सपा की नजर मायावती के वोट बैंक पर भी है। राज्य में दलितों को रिझाने के लिए समाजवादी पार्टी ने बीते 15 मार्च को बसपा के संस्थापक कांशीराम का जन्मदिवस लखनऊ स्थित अपने पार्टी कार्यालय पर मनाया था।

इस दौरान सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम और स्वामी प्रसाद मौर्य ने कांशीराम को श्रद्धांजलि देते हुए दलित आंदोलन में उनके योगदान पर बात भी की थी। इसके अलावा यूपी के हर जिले में सपा ने मान्यवर कांशीराम जयंती समारोह भी मनाया था। बता दें कि इससे पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने 12 मार्च को कहा था कि बसपा अंबेडकर और कांशीराम द्वारा दिखाया गया रास्त भटक चुकी है और अब बीजेपी की बी-टीम की तरह काम कर रही है।

अंबेडकर जयंती भी मनाएगी सपा

अब समाजवादी पार्टी ने आने वाली 14 अप्रैल को यूपी के हर जिल में बड़े स्तर पर अंबेडकर जयंती मनाने का फैसला भी किया है। पार्टी के एक नेता कहा कहना है कि सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रमों से दलितों को यह संदेश जाएगा कि भाजपा से संविधान और लोकतंत्र की रक्षा सिर्फ सपा ही कर सकती है।

दलित वोटरों को साधने के एक अन्य प्रयास में हाल ही में सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अखिलेश यादव के बगल में पार्टी के अनुभवी विधायक अवधेश प्रसाद बैठे नजर आए। अवधेश प्रसाद पासी जाति से संबंध रखते हैं। बैठक के लिए लखनऊ रवाना होने से पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद और अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ एक सेल्फी भी ट्वीट की थी।

कौन हैं अवधेश प्रसाद?

अवधेश प्रसाद यूपी के अयोध्या के मिल्कीपुर से 9 बार विधायक चुने जा चुके हैं। वह यूपी सरकार में मंत्री भी रह चुकी है। सपा उन्हें चार बार नेशनल जनरल सेक्रेटरी भी बना चुकी है। सपा के एक नेता ने बताया कि यह पहली बार था जब अवधेश प्रसाद को पार्टी मंच पर इतना महत्व दिया गया।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में अवधेश प्रसाद ने कहा कि दलितों का झुकाव अखिलेश यादव की सपा की ओर है क्योंकि यही एकमात्र पार्टी है, जो देश में अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान और लोकतंत्र की रक्षा कर सकती है।

कोलकाता में सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान उन्हें दिए गए स्पेशल महत्व को लेकर उन्होंने कहा कि वह पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हैं और साल 1974 से मुलायम सिंह यादव के साथ जुड़े हुए हैं। प्रसाद ने कहा कि मायावती दलितों के उत्थान और विकास के लिए कांशीराम द्वारा दिखाए गए रास्ते से भटक चुकी हैं। इसलिए दलितों को सपा ही अपना मंच नजर आ रहा है और सपा पर उनका भरोसा और बढ़ा है।

दलितों को रिझाने के लिए सपा ने अपना संविधान बदला

कोलकाता में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सपा ने अपने संविधानस में बदलाव भी किया और ‘समाजवादी बाबा साहेब अंबेडकर वाहिनी’ को मोर्चे का दर्जा दिया। बता दें कि पिछले साल यूपी में हुए विधानसभा चुनाव से पहले ही (2021) सपा ने दलितों को पार्टी से जोड़ने के लिए ‘समाजवादी बाबा साहेब अंबेडकर वाहिनी’ का गठन कर लिया था। मिठाई लाल भारती को इस मोर्च का अध्यक्ष नियुक्त किया था।

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