मध्यप्रदेश के इंदौर में नगर निगम ने सोमवार सुबह बेलेश्वर मंदिर का अवैध निर्माण वाला हिस्सा तोड़ दिया। रामनवमी के मौके पर इसी मंदिर में बावड़ी की छत धंसने से 36 लोगों की मौत हुई थी। अतिक्रमण हटाने के लिए सुबह 6 बजे से ही नगर निगम का अमला मंदिर पहुंचना शुरू हो गया।
मंदिर का अतिक्रमण हटाने के विरोध में बजरंग दल और हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। मंदिर के बाहर पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है। प्रशासन ने ढक्कन वाला कुआं, सुखलिया और गाडराखेड़ी में भी धार्मिक स्थलों के अतिक्रमण को हटाया।
गुरुवार को रामनवमी पर हवन के दौरान मंदिर की बावड़ी की छत धंसने से 60 लोग बावड़ी में गिर गए थे। कुछ लोग खुद निकल आए और 20 लोगों को रेस्क्यू किया गया था।
अस्पताल से 12 लोगों की छुट्टी, 6 का इलाज जारी
हादसे में घायल 12 लोगों को भंवरकुआं स्थित एप्पल हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जा चुका है। 6 लोग अभी भी भर्ती हैं। हादसे में मंदिर ट्रस्ट के सचिव मुरली सबनानी पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ है, उसके बाएं पैर के घुटने का ऑपरेशन शनिवार को किया गया। वो भी खतरे से बाहर हैं।
1. मंदिर से जुड़े लोग बोले- कुएं का भराव नहीं किया गया
मंदिर पुराना है। यह पहले बहुत छोटा था। करीब 25 साल पहले इसके विस्तार की योजना बनी। बावड़ी बंद करने का फैसला किया गया। ट्रस्ट ने बावड़ी का भराव नहीं किया और सिर्फ गर्डर और फर्शियां डाल दीं। इस पर टाइल्स लगवा दी गईं। यानी जहां लोग रोज दर्शन के लिए खड़े हो रहे थे, वहां नीचे जमीन खोखली थी। यहीं पर रामनवमी पर आरती के दौरान भीड़ जुटने से हादसा हुआ।
2. बावड़ी के खोखले इलाके के पास अवैध निर्माण
जिस बावड़ी को बरसों पहले बिना भरे पैक किया गया उसी के पास दो साल पहले नया निर्माण शुरू कर दिया गया। नगर निगम ने इस अवैध निर्माण पर आपत्ति ली, लेकिन कार्रवाई नहीं की।
3. राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण कार्रवाई टलती रही
नगर निगम ने बावड़ी को लेकर कभी नोटिस दिया ही नहीं। उसने नए निर्माण को अवैध मानते हुए रोकने के लिए कहा, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। इसके पीछे एक बड़े भाजपा नेता का राजनीतिक दबाव था, यह बात अफसर स्वीकार रहे हैं।