IIT स्टूडेंट सुसाइड केस में हाईकोर्ट का फैसला, फैजान का शव कब्र से निकाला जाए, सच सामने लाने के लिए दोबारा पोस्टमॉर्टम जरूरी

IIT खड़गपुर के स्टूडेंट के सुसाइड को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि सच सामने लाने के लिए स्टूडेंट का शव कब्र से निकालकर दोबारा पोस्टमॉर्टम किया जाना बेहद जरूरी है। कोर्ट ने इसके लिए जांच अफसरों को एक महीने का समय दिया है।

23 साल का फैजान पिछले साल 14 अक्टूबर को अपने होस्टल के कमरे में मृत पाया गया था। कॉलेज अथॉरिटी ने कहा था कि यह सुसाइड है, जबकि छात्र के परिवार का दावा था कि उसकी हत्या की गई है। परिवार ने फैजान का शव का दूसरा पोस्टमॉर्टम कराने के कोर्ट के आदेश को मान लिया है।

असम से शव लाकर कोलकाता पुलिस को सौंपा जाएगा
जस्टिस राजशेखर मंथा ने अपने आदेश में कहा कि, ‘स्टूडेंट की बॉडी असम में दफनाई गई है। कोर्ट फैजान अहमद की बॉडी को कब्र से निकालने का आदेश देता है। इस मामले में जांच अफसर को असम पुलिस के साथ तालमेल बैठाकर ये सुनिश्चित करना होगा कि स्टूडेंट का शव कोलकाता पुलिस को सौंपा जाता है और नया पोस्टमॉटर्म किया जाता है।’

कोर्ट ने इन दो बातों के आधार पर दिया फैसला…
कोर्ट ने न्याय मित्र संदीप भट्‌टाचार्या की तरफ से दाखिल किए गए कुछ नोट्स का जिक्र किया।

  • पहली ये कि मृतक के सिर के पीछे की तरफ चोट के दो निशान हैं, जिन्हें मेडिकल भाषा में हीमाटोमा कहा जाता है। खुद संदीप भट्‌टाचार्या ने इस बात को पुख्ता किया है। पहली पोस्टमॉटर्म रिपोर्ट में इसका कोई जिक्र नहीं है।
  • दूसरा ये कि पुलिस को घटनास्थल से एम्प्लूरा (सोडियम नाइट्रेट) नाम का केमिकल मिला था। संदीप भट्‌टाचार्या ने जानकारी दी है यह पीले रंग का पाउडर होता है जिसे मांस को ताजा रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह कैसे हो सकता कि होस्टल के एक कमरे में एक बॉडी सड़ती रहे और दूसरे कमरों के स्टूडेंट्स को पता न चले। तीन दिन तक फैजान के शव से कोई दुर्गंध नहीं आना शक पैदा करता है। ऐसे में मौके से इस केमिकल एम्प्लूरा का मिलने से सवाल खड़ा होता है कि फैजान का शव सड़ने से बचाने के लिए तो इसका इस्तेमाल नहीं किया गया।

IIT खड़गपुर के डायरेक्टर से भी पूछताछ कर चुका है कोर्ट
कोर्ट ने इससे पहले बंगाल के पश्चिम मेदिनिपुर जिले में स्थित IIT खड़गपुर के डायरेक्टर को पेश होने को कहा था। छात्र की तरफ से दाखिल की गई रैगिंग की शिकायत को लेकर डायरेक्टर ने कोई एक्शन नहीं लिया था, जिसे लेकर कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई थी।

डायरेक्टर ने कोर्ट को बताया था कि वे सभी छात्रों को अपने बच्चों की तरह मानते हैं और दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस पर कोर्ट ने कॉलेज प्रशासन को फटकारते हुए पूछा था कि क्या एक प्रमुख संस्थान ऐसे काम करता है?

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