छत्तीसगढ़ की पहल: जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ ऊर्जा

रायपुर

जुलाई की तीसरी तारीख को विश्व का औसत तापमान 17.18 डिग्री था। यह विश्व का सबसे ऊंचा तापमान है। वैज्ञानिकों ने एलनीनो और क्लाइमेट चेंज को इसका कारण बताया है। यह भी कहा जा रहा है कि दुनिया को स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ना चाहिए। इसके लिए देशों की शिखर वार्ताएं अबुधाबी से फ्रांस तक चल रही हैं। जलवायु परिवर्तन के इस बड़े खतरे को देखते हुए, दुनिया को सुरक्षित ऊर्जा उपायों पर विचार करना चाहिए। जिस देश ने इस दिशा में पहल की, वह सबसे आगे रहेगा।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने परंपरागत ज्ञान को हमेशा महत्व दिया है और हमारे पूर्वजों ने कृषि में अच्छी बातें सिखाई हैं, उसे वर्तमान में कृषि में पूरे जोर से स्थापित करने का श्रेय उन्हें जाता है।

छत्तीसगढ़ ने क्लाइमेट चेंज जैसे हालात से निपटने में देश-दुनिया को अनोखी राह दिखाई है। ई-व्हीकल, जीवाश्म ईंधन की जगह सुरक्षित ईंधन के रूप में विकसित हो रहे हैं, लेकिन लीथियम की कमी के कारण यह भी लंबे समय तक कामयाब नहीं होगा। ऐसे में, निरंतर उपलब्ध, स्वच्छ ईंधन की आवश्यकता स्वाभाविक है। छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जिसने स्वच्छ ईंधन का उपयोग किया है।

गोबर से बिजली बनाने का उदाहरण लें। जगदलपुर में गोबर से बिजली बनाने की कोशिश की गई है। कई कारणों से यह महत्वपूर्ण है। इससे पशुधन को सही ढंग से उपयोग किया जा सकेगा। गोबर अधिक उपयोगी होने से लोगों को पशुपालन में भी रुचि होगी। कृषि से इतर पशुपालन भी आजीविका बढ़ाने का प्रभावी उपाय साबित होगा, जो किसानों की आय में दोगुनी वृद्धि का लक्ष्य पूरा करने में सक्षम होगा।

फसल चक्र जलवायु परिवर्तनों से सीधे प्रभावित होगा। खराब मौसम और मिट्टी की अनुर्वरता दो ऐसे कारक होंगे जो खेती को बहुत कठिन बना देंगे। मिट्टी की ऊर्वरता को बचाने का एकमात्र उपाय जैविक खाद है। इससे देश को भी महंगा फर्टिलाइजर आयात नहीं करना पड़ेगा।

जलवायु परिवर्तन के असर से सूखा और अतिवृष्टि की भी आशंका हो सकती है, या मानसून टल सकता है। ऐसे बदलावों के लिए हम क्या तैयार हैं? यह प्रश्न छत्तीसगढ़ के लिए सही है क्योंकि वहाँ की कई धान की जातियां मौसम की कठोरता का सामना कर सकती हैं। हमने इन्हें भी बचाया है, जो अच्छा है।

जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए पौधरोपण बहुत महत्वपूर्ण है। नियमित पौधरोपण अभियानों के साथ-साथ किसानों को व्यावसायिक पौधरोपण करने की भी प्रेरणा दी जानी चाहिए। राजीव गांधी किसान न्याय योजना में व्यावसायिक वृक्षारोपण पर भी शासन द्वारा इनपुट सब्सिडी दी जाती है। इससे अधिकांश किसान पौधरोपण कर रहे हैं, जो हरियाली के लिए फायदेमंद है और व्यावसायिक वृक्षारोपण के माध्यम से आय का अवसर भी देता है।

हाइड्रोलिक एनर्जी भी स्वच्छ ऊर्जा के लिए फायदेमंद हो सकती है। इसके लिए हमारे नदी-नाले जीवंत रहें। हमारे नाले नरवा योजना से पुनर्जीवित हुए हैं। नरवा योजना के निर्माण से भूमिगत जल का स्तर बढ़ा है, जो नदियों को सुरक्षित रखने में भी महत्वपूर्ण है।

आने वाले समय में बहुत सी चुनौतियां हैं, लेकिन इन चुनौतियों में भी संभावनाएं छिपी हैं। छत्तीसगढ़ में स्वच्छ ऊर्जा की पहल से निकट भविष्य में बड़ी मात्रा में वैकल्पिक नवीकरण ऊर्जा उत्पादित हो सकेगी।

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