सांस्कृतिक अभ्युदय के फलस्वरूप हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है भारत-श्री नरेंद्र सिंह तोमर

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर  व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में भोपाल में महाराणा प्रताप स्मारक का शिलान्यास किया गया। यह स्मारक वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जीवनी व उनके शौर्य से अवगत कराएगा। इस कार्यक्रम में प्रदेश के अनेक मंत्री, अन्य जनप्रतिनिधि तथा बड़ी संख्या में समाज बंधु उपस्थित थे। केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि एक समय था, जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था एवं विश्व गुरु माना जाता था, दुनिया के लोग यहां शिक्षा ग्रहण करने आते थे।

एकजुट रहने की प्रेरणा देता है महाराणा प्रताप का जीवन-श्री शिवराज सिंह चौहान

लेकिन दुर्भाग्य से एक लंबे समय तक हम दुरावस्था का भी शिकार हुए। आजादी के बाद महाराणा प्रताप व शिवाजी महान को अच्छे से पढ़ाया जाता तो आज भारत, दुनिया का नेतृत्व करने वाला देश बन चुका होता। उतार-चढ़ाव प्रकृति के हिसाब से चलते हैं। अब उतार का समय समाप्त हो गया है और हिन्दुस्तान के उदय का समय प्रारंभ हो गया है। आजादी के 75 साल व 2047 में आजादी के 100 साल के बीच का 25 साल का समय भारत को ऊंचाइयां प्रदान करने का समय है। कोई भी देश, समाज, व्यक्ति ऊंचाई पर तभी पहुंचता है, जब उसके मन में अपनी संस्कृति व पूर्वजों के चरित्र के प्रति गौरव होता है। हम सौभाग्यशाली हैं कि वह समय हमें दिखाई दे रहा है। श्री तोमर ने कहा कि आज हमारा देश आध्यात्मिक दृष्टि से अग्रणी भूमिका निभा रहा है। एक समय लोग कहते थे, राम मंदिर कभी नहीं बनेगा, लेकिन केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से मंदिर बनकर तैयार होने वाला है और जनवरी में इस नए मंदिर में हम भगवान श्रीराम के दर्शन करेंगे। आज प्रधानमंत्री श्रीं मोदी जी के सांस्कृतिक अभ्युदय के परिणामस्वरूप काशी का कॉरीडोर बन गया है, पूरी दुनिया इसे देखने के लिए आ रही है। चाहे चंद्रयान के दक्षिण ध्रुव में तिरंगा फहराने का मामला हो या जी-20 में झंडा गाडऩे का, सबमें भारत अग्रणी है। इसी तरह मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री श्री चौहान के नेतृत्व में उज्जैन में महाकाल लोक, ओंकारेश्वर में शंकराचार्य लोक, ओरछा में राम राजा लोक, सलकनपुर में मैया का लोक जैसे सांस्कृतिक अभ्युदय के कार्यक्रम हो रहे हैं। भोपाल में महारानी पद्मावती का स्मारक भी बनकर तैयार है। मुख्यमंत्री ने कहा था कि कुछ और भी करना चाहिए। महाराणा प्रताप, चेतक घोड़ा, भीलों की सेना को याद किया जाना चाहिए। जन्म से लेकर पुण्य स्मरण तक का कालखंड पूरा प्रदर्शित होना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी उनसे प्रेरणा ले सकें, उस रास्ते पर चलकर भारत माता को परम वैभव के शिखर पर पहुंचा सकें और आज हम इस पल के साक्षी बन रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि महाराणा प्रताप अप्रतीम शौर्य के प्रतीक थे, जिन्होंने झुकना नहीं सीखा था। उनका नाम लेते ही रोम-रोम पुलकित हो जाता है। हमने तय किया, जिन्होंने अद्भुत इतिहास रचा है, उनसे आने वाली पीढिय़ों को प्रेरणा लेना चाहिए। सरकार का काम सिर्फ पुल-पुलिया, सड़कें बनाना ही नहीं है, बल्कि आने वाली पीढिय़ों को प्रेरणा देना व सही ढंग से इतिहास पढ़ाना भी है, इसलिए तय किया गया कि भोपाल में महाराणा प्रताप के शौर्य व कृतित्व से परिचित कराने वाली संरचना बनाई जाएं।उन्होंने कहा कि उनकी भव्य प्रतिमा भी बनेगी। उनकी जीवनी पर 20 मिनट की फिल्म के प्रदर्शन के लिए सेंटर बनेगा। जीवन की घटनाओं पर आधारित गैलरी का निर्माण किया जाएगा और दो हजार लोगों के बैठने की क्षमता का आकाशीय मंच भी बनाया जाएगा। उनकी जीवनी भारत को एकजुट रहने की प्रेरणा देती है। उनकी सेना में हर जाति व पंथ के लोग थे। छापामार युद्ध में कीर समुदाय की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। उनकी महागाथा से एकता की सीख मिलती है। इसी तरह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान व बुंदेलखंड के गौरव महाराजा छत्रसाल बुंदेला के समाधि स्थल पर उनके जीवन व योगदान पर आधारित भव्य स्मारक बनाया जाएगा। श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आजादी के अमृत काल में वैभवशाली भारत के निर्माण के महायज्ञ में यह योगदान स्वरूप रहेगा। मध्यप्रदेश के मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह, सुश्री उषा ठाकुर, श्री गोविंद सिंह राजपूत, श्री बृजेंद्र प्रताप सिंह, डॉ. महेंद्र सिंह सिसोदिया, डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया, श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, श्री ओ.पी.एस. भदौरिया कार्यक्रम में शामिल थे।

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