उत्तर प्रदेश ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अंर्तगत 100 प्रतिशत ओडीएफ प्लस कवरेज हासिल किया

उत्तर प्रदेश ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण II के तहत एक और बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है राज्य के सभी 95,767 गांवों यानी मिशन के चरण II के तहत 100 प्रतिशत गांवों ने ओडीएफ प्लस का दर्जा प्राप्त कर लिया है। ओडीएफ प्लस गांव वह है जिसने ठोस या तरल अपशिष्ट  प्रबंधन प्रणालियों को लागू करने के साथ-साथ अपनी खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) स्थिति को बनाए रखा है। आज तक देश भर में 4.4 लाख (75 प्रतिशत) गांवों ने अपने को ओडीएफ प्लस घोषित कर दिया है, जो 2024-25 तक एसबीएम-जी चरण II के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।चालू वित्तीय वर्ष में उत्तर प्रदेश ने गति पकड़ी। राज्य में 1 जनवरी 2023 तक केवल 15,088 गाँव थे जिन्हें ओडीएफ प्लस घोषित किया गया था। केवल 9 महीने की छोटी अवधि में राज्य ने मिशन मोड में ओडीएफ प्लस हासिल करने के प्रयास किए। पिछले 9 महीनों में 80,000 से अधिक गांवों ने ओडीएफ प्लस का दर्जा हासिल किया और इस तेज गति के परिणामस्वरूप ओडीएफ प्लस की समयबद्ध उपलब्धि मिली। तेजी से कार्यान्वयन के लिए प्रमुख कारक पंचायत स्तर पर क्षमता निर्माण और साइट पर सहायता थे।

95,767 ओडीएफ प्लस गांवों में से 81,744 गांव ठोस अपशिष्ट प्रबंधन या तरल अपशिष्ट प्रबंधन के साथ ओडीएफ प्लस महत्वाकांक्षी गांव हैं, 10,217 गांव ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन दोनों की व्यवस्था के साथ ओडीएफ प्लस उभरते गांव हैं और 3,806 गांव ओडीएफ प्लस आदर्श गांव है। कुल मिलाकर अब तक 15,649 गांवों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था है और 95,048 गांवों में तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था है।100 प्रतिशत की यह उपलब्धि चल रहे स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) – 2023 अभियान के दौरान मिली है। ) स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) अभियान  जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता  विभाग के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत प्रतिवर्ष 15 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाया जाता है। इस वर्ष अब तक ओडीएफ प्लस स्थिति की उपलब्धि में तेजी लाने के प्रयास में लगभग 88 लाख लोग बड़े पैमाने पर एक जुट हुए और श्रमदान में भाग लिया। ओडीएफ प्लस उपलब्धि का उत्सव उन ग्राम-पंचायतों के सम्मान के साथ मनाया गया जिन्होंने अनुकरणीय कार्य किया था और अपनी ग्राम पंचायतों को ओडीएफ प्लस मॉडल घोषित किया था। पूरे राज्य में ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव, पंचायत सहायक और सफाई कर्मियों को राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया, जिससे उन्हें स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में और योगदान देने के लिए प्रेरित किया गया। पुरस्कार विजेताओं में 60 सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायतें शामिल हैं जिन्होंने ग्राम पंचायत को एक मॉडल के रूप में बनाने में उनके योगदान दिये; 75 सफाई कर्मियों (प्रत्येक 75 जिलों में से एक) को भी उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। गतिविधियों में सीखने और आगे बढ़ने के लिए ठोस अपशिष्ट, तरल अपशिष्ट, आरआरसी और मॉडल गांव के लाइव मॉडल के प्रदर्शन के माध्यम से “देखने में विश्वास को बढ़ावा देना” जैसी गतिविधियां और ‘मनोरंजन के माध्यम से शिक्षा’, कचरा मुक्त थीम पर जादू शो, कठपुतली शो जैसे स्थानीय/लोक मीडिया समूहों को शामिल करके सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए थे।ओडीएफ प्लस मॉडल गांव वह है जो अपनी ओडीएफ स्थिति को बनाए रखे हुए है और इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन दोनों की व्यवस्था है तथा जहां साफ-सफाइ दिखती है यानी, न्यूनतम कूड़ा, न्यूनतम स्थिर अपशिष्ट जल, सार्वजनिक स्थानों पर कोई प्लास्टिक कचरा डंप नहीं और जहां ओडीएफ प्लस सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) संदेश दिखाए जाते हैं।100 प्रतिशत ओडीएफ प्लस गांवों की उपलब्धि एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि स्वच्छ भारत मिशन चरण II में राज्य ओडीएफ से ओडीएफ प्लस में आ गया है। एसबीएम (जी) के चरण- II के प्रमुख घटक खुले में शौच मुक्त स्थिति (ओडीएफ-एस), ठोस (बायो-डिग्रेडेबल) अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (पीडब्लूएम), तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एलडब्ल्यूएम), मल कीचड़ को प्रबंधन (एफएसएम), गोबरधन, सूचना शिक्षा और संचार/व्यवहार परिवर्तन संचार (आईईसी/बीसीसी) तथा क्षमता निर्माण को बनाए रखना है। एसबीएम-जी कार्यक्रम देश भर में लाखों लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण को बेहतर बनाने में सहायक रहा है।

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