गंगा उत्सव का सातवां संस्करण उत्साह के साथ मनाया गया

गंगा उत्सव के सातवें संस्करण का आयोजन नई दिल्ली में  राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा किया गया और इसका उद्घाटन जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की सचिव सुश्री देबाश्री मुखर्जी ने विशेष सचिव एवं महानिदेशक, एनएमसीजी श्री जी. अशोक कुमार की उपस्थिति में किया। इस कार्यक्रम में एनबीटी के सहयोग से नमामि गंगे पत्रिका के 33वें संस्करण, नई चाचा चौधरी श्रृंखला और गंगा पुस्तक परिक्रमा पर आधारित वॉयेज ऑफ गंगा बुकलेट का विमोचन भी किया गया। गंगा पुस्तक परिक्रमा के दूसरे संस्करण को भी आज सुश्री देबाश्री मुखर्जी और श्री जी. अशोक कुमार ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। गंगा पुस्तक परिक्रमा 7 नवंबर 2023 को गंगोत्री से अपनी 3 महीने लंबी यात्रा शुरू कर, 11 जनवरी 2024 को गंगासागर में अपनी यात्रा समाप्त करने से पहले- उत्तरकाशी, ऋषिकेश, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ, अलीगढ़, फर्रुखाबाद, कानपुर, प्रयागराज, मिर्ज़ापुर , वाराणसी, छपरा, पटना, बेगूसराय, सुल्तानगंज, भागलपुर, साहिबगंज, बहरामपुर, कोलकाता और हल्दिया, गंगा नदी के तट पर स्थित सभी शहरों और कस्बों से होकर गुजरेगी। सुश्री देबाश्री मुखर्जी ने कहा कि गंगा केवल एक नदी नहीं है बल्कि एक भावना है जो हम सभी के साथ जुड़ी हुई है। उन्होंने नई पीढ़ी के सहयोग से गंगा पुनरुद्धार प्रयासों में उल्लेखनीय प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने नदियों के गहरे सांस्कृतिक महत्व का उल्लेख करते हुए गालिब और यमुना के बीच के खूबसूरत संबंध की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नदियों का संरक्षण सभी की साझी जिम्मेदारी है। उन्होंने दोहराया कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि ‘पानी सबकी जिम्मेदारी है’ और उन्होंने हमारे देश के सतत विकास में पानी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है। इस संदर्भ में, उन्होंने जल निकायों को दूषित करने वाले ठोस अपशिष्ट के मुद्दे को हल करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि हममें से प्रत्येक को आगे बढ़ना चाहिए और अपनी नदियों की सुरक्षा में योगदान देना चाहिए। उन्होंने जल निकायों में सीवेज के प्रवाह से तत्काल निपटने की जरूरत पर जोर दिया और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को उन्नत करने वकालत की, विशेष रूप से प्लास्टिक अपशिष्ट नियंत्रण पर जोर दिया।

उनके संबोधन का जल संरक्षण एक अन्य केंद्र बिंदु था, क्योंकि नदियों के पुनर्जीवन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर  उन्होंने प्रकाश डाला। उन्होंने सामूहिक कार्रवाई और सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि जल संरक्षण और नदी कायाकल्प हम सबकी मौलिक जिम्मेदारी है। उन्होंने नदी कायाकल्प के नेक काम में जन आंदोलन (लोगों का आंदोलन) की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया।

एनएमसीजी के विशेष सचिव और महानिदेशक ने उपस्थित लोगों का हार्दिक स्वागत किया और भारत में गंगा के  महत्व का उल्लेख किया। श्री कुमार ने बताया कि 2008 में गंगा को भारत की राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया जिसके परिणाम स्वरूप राष्ट्रीय गंगा दिवस की शुरुआत हुई। उन्होंने आगे बताया कि कैसे हर साल, यह शुभ दिन बच्चों सहित विभिन्न हितधारकों को खुशी के उत्सवों और गतिविधियों में एकजुट करता है। श्री कुमार ने डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर के महत्व को रेखांकित किया, जहां माननीय प्रधानमंत्री द्वारा “कैच द रेन” अभियान शुरू किया गया था। इस दौरान उन्होंने देश के कोने-कोने से आए सरपंचों को संबोधित करते हुए हमारी साझी विरासत में गंगा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।

श्री कुमार ने 14 दिसम्बर 2022 को मॉन्ट्रियल, कनाडा में  जैव विविधता पर कन्वेंशन (सीबीडी) के पक्षकारों के 15वें सम्मेलन के दौरान प्राकृतिक दुनिया के कायाकल्प के लिए समर्पित शीर्ष 10 विश्व संरक्षण प्रमुख कार्यक्रम में से एक के रूप में नमामि गंगे को संयुक्त राष्ट्र द्वारा उल्लेखनीय मान्यता पर प्रकाश डाला। श्री कुमार ने कहा कि यह सम्मान हमारे देश और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के लिए बेहद गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि गंगा बेसिन में विभिन्न जिला गंगा समितियों द्वारा भी गंगा उत्सव 2023 मनाया गया। हाल के वर्षों में, नमामि गंगे ने जिला गंगा समितियों के साथ नियमित बैठकें आयोजित करके गंगा से संबंधित गतिविधियों के विकेंद्रीकरण की हिमायत की है, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि ये बैठकें लोगों के साथ गहरा संबंध बनाने, गंगा प्रहरियों, जिला परियोजना अधिकारियों, गंगा दूतों आदि के माध्यम से लोगों की भागीदारी में सकारात्मक कदम उठाने का मार्ग प्रशस्त करने में सहायक हैं।

उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में कम से कम 5  लाख लोगों की भागीदारी देखी गई, जो नमामि गंगे मिशन के लिए जबरदस्त समर्थन को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “हमारे प्रयास इंजीनियरिंग-केन्द्रित मिशन से विकसित हुए हैं, जो सीवेज शोधन संयंत्रों के निर्माण से लेकर अर्थ गंगा मॉडल तक पर केंद्रित है, जिसमें सामुदायिक भागीदारी, शैक्षिक गतिविधियों और स्थानीय लोगों के लिए आजीविका सृजन पर जोर दिया गया है।” यह प्रतिमानात्मक बदलाव अत्यधिक इंजीनियरिंग-केन्द्रित कार्यक्रम से लोगों के नदी के साथ संबंध में रोजगार सृजन के अवसरों को प्राथमिकता देने वाले बदलाव का प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि गंगा और उसकी सहायक नदियों में गंगा  नदी डॉल्फ़िन की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। एनएमसीजी ने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ भी मजबूत साझेदारी बनाई है, जो एनएमसीजी को गंगा नदी का एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र में बदलने का एक सहयोगी प्रयास है। नदी के किनारे समर्पित महिला स्वयंसेवकों के एक समूह द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने उल्लेख किया कि कैसे उन्होंने स्वच्छ गंगा का संदेश फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। श्री कुमार ने दिल्ली हाट-जलज परियोजना की ओर ध्यान आकर्षित किया, जो गंगा बेसिन में रहने वाली इन महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को प्रदर्शित करती है, जो आर्थिक स्थिरता में योगदान देती हैं। श्री कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि एनएमसीजी मुख्य रूप से हिंडन, काली नदी और यमुना पर विशेष जोर देने के साथ गंगा की सहायक नदियों पर ध्यान केंद्रित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है। उन्होंने नई पहल रिवर-सिटीज़ अलायंस में सदस्य-शहरों के हालिया विस्तार पर प्रकाश डाला।

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