सिर्फ वादे नहीं, कार्यों से दुनिया को आश्चर्यचकित करेगा भारत

दीर्घकालिक विकास के दृष्टिकोण में समानता, जलवायु न्याय, एक दूसरे से सीखने की भावना होनी चाहिए, ताकि एक ऐसी समावेशी और न्यायपूर्ण दुनिया का निर्माण हो जो किसी को पीछे न छोड़े। इसी भावना से भारत ने मिस्र में आयोजित कॉप-27 में दुनिया के सामने 2023 में ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के आदर्श वाक्य के साथ जी20 की अध्यक्षता ग्रहण करने का हवाला देकर मानवता के लिए सुरक्षित ग्रह की सामूहिक यात्रा में वैश्विक समुदाय का साथ मांगा है।

भारत ने कहा है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था वाला भारत अनुकरणीय उदाहरण के साथ नेतृत्व करना चाहता है। इसलिए जलवायु परिवर्तन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो में 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य प्राप्त करने की जो घोषणा की थी, उसे केंद्र में रखकर ही कॉप-27 में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मेलन के सामने भारत ने कम उत्सर्जन विकास रणनीति (एलटी- एलडीईएस) पेश की है। भारत उन चुनिंदा 60 से कम देशों में शामिल हो गया जिसने यह रणनीति सौंपी है। केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कॉप27 में दिए राष्ट्रीय वक्तव्य में कहा कि भारत ने अगस्त, 2022 में 2030 तक निर्धारित अपने जलवायु लक्ष्यों को बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘LiFE- पर्यावरण के लिए जीवन शैली’ का जो संकल्प दिया था, गुजरात के केवड़िया में 20 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की मौजूदगी में उसका शुभारंभ भी कर दिया है। रणनीति आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के दृष्टिकोण पर केंद्रित है जो नवाचार और अनुसंधान को हर क्षेत्र में सख्ती से आगे बढ़ाएगी। भारत ने कहा है कि हमारी रणनीति सिर्फ शब्दों में नहीं है। अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टर के एक्शन इसमें शामिल हैं। भारत का जोर सिर्फ शब्दों या संख्या के वादों पर नहीं है बल्कि अपने कार्यों से भारत दुनिया को आश्चर्यचकित करेगा। भारत ने विकसित देशों से भी कहा है कि बताएं वो अपने लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करेंगे ? विकासशील देशों को बताया जाए कि 100 अरब डॉलर के वादे को कैसे पूरा किया जाएगा।

कम उत्सर्जन रणनीति के 4 महत्वपूर्ण बिंदु

भारत की आबादी 130 करोड़ और उत्सर्जन 4% से कम और वैश्विक प्रति व्यक्ति सालाना उत्सर्जन एक तिहाई है।

भारत के विकास के लिए ऊर्जा महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुसार भारत विकास के लिए कम कार्बन उत्सर्जन वाली रणनीतियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

भारत को जलवायु सहनशील होने की जरूरत है।

error: Content is protected !!