काशी में मुस्लिम महिलाओं ने उतारी राम आरती

अयोध्या है हमारे जियारत गाह का नाम, रहते हैं वहां मालिक-ए-कायनात श्री राम, जय श्री राम, जय श्री राम। आओ मिलकर हम सब करें उनको सलाम, तकलीफ और गरीबी, दूर करते श्री राम, जय श्री राम, जय श्री राम। आज वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं ने राम नवमी पर ढोलक की थाप पर उर्दू में सोहर गाए। साथ में प्रभु श्रीराम की आरती उतारी। सजावटी थाल लेकर बुर्का पहले मुस्लिम महिलाओं ने मिट्टी के दीपक से भगवान राम की अराधना की। श्रीराम नाम का उद्घोष किया।

मुंशी प्रेमचंद की जन्मस्थली लमही के इंद्रेश नगर में मुस्लिम महिला फाउंडेशन की ओर से यह आरती हर साल चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन आयोजित की जाती है। आज अभगवान राम के प्रति मुस्लिम महिलाओं की आस्था देखते ही बन रही थी।

काले रंग के बुर्के और भगवा दुपट्टा में आईं महिलाएं भगवान राम और सीता की प्रतिमा को निहारती रहीं। उर्दू में रचित श्रीराम प्रार्थना और श्रीराम आरती का पाठ भी किया। साथ में जय श्रीराम का उद्घोष भी किया।

नफरत के अंधेरे को मिटाना है

महिलाओं ने कहा कि राम नाम के दीपक से हिंसा और नफरत के अंधकार को दूर करने का संदेश दुनिया को भेजा गया। यह भी कहा कि कोई कट्टरपंथी एक दूसरे के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने और भावनात्मक रिश्ता बढ़ाने से किसी को रोक नहीं सकता। काशी की यह परंपरा 17 साल से चली आ रही है। मुस्लिम महिलाएं हर साल राम नवमी, दशमी समेत कई विशेष मौकों पर भगवान श्रीराम की आरती उतारकर विधिवत पूजा-पाठ करती हैं।

मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि हमारी धमनियों में बहने वाला खून हमारे हिंदू पूर्वजों का ही है। उन्होंने कहा कि जो देश भगवान श्रीराम की भक्ति से अपने आप को अलग कर लिया उस देश की दुर्गति हाे रही है। राम से अलग होने पर परिवार, समाज और देश में खून खराबा के अलावा कुछ नहीं बचा। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश इसके उदाहरण हैं।