दिल्ली सरकार के सेवा विभाग ने विज्ञान भवन में दिल्ली सरकार के सिविल सेवकों आईएएस, आईएफओएस, एवं दानिक्स अधिकारियों के लिए एक क्षमता निर्माण कार्यशाला काआयोजन किया

सेवा विभाग, दिल्ली सरकार ने 26.05.2023 को   “मिशन कर्मयोगी – सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम”, जिसे केंद्र सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप  में सिविल सेवाओं को बढ़ाने के लिए परिकल्पित किया गया है,  के तहत सिविल सेवकों की प्रभावी सार्वजनिक सेवाओं के क्षमता निर्माण के लिए एक कार्यशाला का विज्ञान भवन में आयोजन किया । यहां यह उल्लेख करना उचित है कि “मिशन कर्मयोगी” माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक शीर्ष निकाय द्वारा संचालित है। यह कार्यक्रम माननीय प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ की परिकल्पना करता है, जहां मूल सिद्धांत न्यूनतम नौकरशाही हस्तक्षेप के साथ एक पारदर्शी, भागीदारी पूर्ण और नागरिक अनुकूल शासन है।

श्री ए. के. सिंह, आई ए एस, प्रमुख सचिव (सेवा) ने कार्यक्र्म के शुरुआत में भाग लेने वाले अधिकारियों को सूचित किया कि कार्यशाला आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य प्रतिभागी अधिकारियों को सामूहिक सीखने, अनुभवों को साझा करने और एक दोस्ताना नागरिक केंद्रित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तत्वों को समझने के लिए एक मंच प्रदान करना है ।

कार्यशाला के पहले भाग में, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रमुख तत्वों अर्थात “सुशासन”, “नागरिक केंद्रित सेवाओं की समावेशिता और पहुंच”, “अधिकतम शासन न्यूनतम सरकार”, “सार्वजनिक परिवहन में प्रथम और अंतिम मील कनेक्टिविटी” और “प्रशिक्षण और निगरानी” पर पांच सत्र आयोजित किए गए। 5 सत्रों के दौरान इन विषयों पर विचार-विमर्श करने वाले ए॰सी॰ एस/ प्रधान सचिवों ने दिल्ली के नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक मजबूत नागरिक केंद्रित वितरण प्रणाली की स्थापना में इन तत्वों के महत्व को रेखांकित किया। प्रतिभागियों ने उन चुनौतियों पर भी विचार-विमर्श किया जो दिल्ली में इस तरह की व्यवस्था स्थापित करने के रास्ते में आ सकती हैं और साथ ही इसे हटाने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।

कार्यशाला के दूसरे भाग में, मुख्यसचिव, दिल्ली ने भाग लेने वाले अधिकारियों को संबोधित किया और बताया कि हमारे सिविल सेवकों की क्षमताओं की तुलना दुनिया की किसी भी सिविल सेवा से की जा सकती है और उन्होंने प्रौद्योगिकी के अधिक उपयोग के बिना भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है, लेकिन समय बदलने और जनसंख्या में वृद्धि को देखते हुए, सिविल सेवकों द्वारा नवीनतम उपलब्ध तकनीक प्रयोग करने की आवश्यकता है। यह जनता की आकांक्षाओं, जो वस्तुओं और सेवाओं के वितरण की त्वरित, सरल, कुशल और पारदर्शी प्रणाली की मांग करती है, को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण है ।मुख्य सचिव ने श्रोताओं को बताया कि कैसे नवीनतम तकनीक के प्रयोग ने रेलवे आरक्षण प्रणाली, पासपोर्ट और एपिक कार्ड जारी करने आदि जैसी सार्वजनिक वितरण प्रणाली में क्रांति ला दी है। दिल्ली में सिविल सेवकों की ओर से अभी भी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है ताकि दिल्ली को पूरे देश और दुनिया के लिए एक आदर्श के रूप में  प्रस्तुत किया जा सके।

यह कार्यशाला माननीय उपराज्यपाल, दिल्ली के निर्देश पर लोक सेवकों की क्षमता निर्माण को बढ़ाने के लिए सुशासन की अवधारणा पर विचार-विमर्श करने के लिए आयोजित की गई है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ प्रौद्योगिकी का उपयोग और नियमों और विनियमों की समीक्षा आदि शामिल हैं जिससे दिल्ली के नागरिकों के लिए सुचारू, कुशल और पारदर्शी तरीके से सेवाओं के वितरण हेतु एक मजबूत सार्वजनिक वितरण प्रणाली बनाई जा सके।

मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 को 19.05.2023 को लागू किया है, जिसके तहत एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना की गई है, जो अन्य बातों के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार से संबन्धित मामलों में सेवारत सिविल सेवकों और अन्य कर्मचारियों की क्षमता निर्माण के लिए सिफारिशें करने के लिए जिम्मेदार है। मुख्य सचिव ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे किसी भी प्रकार के दबाव में न आकर निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से स्पष्ट रूप से बताए गए नियमों और विनियमों के अनुसार काम करें।

माननीय उपराज्यपाल, श्री वी॰ के॰ सक्सेना ने भाग लेने वाले अधिकारियों को संबोधित किया और उन्हें सूचित किया कि दिल्ली के उपराज्यपाल के रूप में पद ग्रहण करने के समय से ही उनकी  ऐसी कार्यशाला आयोजित करने की इच्छा रही है जहां राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के सभी अधिकारी बैठ सकें और सरकारी परियोजनाओं और नीतियों के कार्यान्वयन में आई चुनौतियों और समस्याओं के समाधान पर विचार-विमर्श कर सकें। उन्होंने कार्यशाला के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की क्योंकि सिविल सेवक अपने कौशल और क्षमता द्वारा सेवा वितरण, कार्यक्रम कार्यान्वयन और कोर गवर्नेंस कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

माननीय उपराज्यपाल ने अधिकारियों को सूचित किया कि कभी न कभी प्रत्येक नागरिक को अपने दैनिक जीवन में सरकारी सेवाओं की आवश्यकता होती है। उन्होंने आग्रह किया कि अधिकारियों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में ऐसी सभी बाधाओं को दूर करने के लिए आवश्यक उपाय करने का प्रयास करना चाहिए, जिनका सामना उन्होंने स्वयं सरकारी सेवा में प्रवेश करने से पहले किया होगा। इसके विपरीत कई बार यह देखा गया है कि सेवा में आने के बाद उनके व्यवहार में काफी बदलाव आता है, जो कि गहरी चिंता का विषय है।

माननीय उपराज्यपाल ने कहा कि यह समय की मांग है कि सिविल सेवक लोगों की आकांक्षाओं के अनुसार खुद को तैयार करें और खुद को आम लोगों के साथ जोड़ लें, उनकी चिंताओं को समझें और इसका ईमानदारी और कुशलता से निवारण करने के लिए पर्याप्त उपाय करें। यदि कोई मौजूदा कानून, नियम या विनियम, जो अप्रासंगिक हो गए हैं या सेवा प्रदान करने में बाधा उत्पन्न करते हैं तो उसकी आकस्मिक आधार पर समीक्षा की जानी चाहिए। उन्हें काम में देरी के लिए पुराने नियमों और प्रक्रियाओं का सहारा लेने के बजाय बड़े पैमाने पर समाज के कल्याण के लिए कार्य करने के लिए सकारात्मक सोच विकसित करनी चाहिए।

माननीय उपराज्यपाल ने आगे बताया कि उन्होंने उपराज्यपाल के रूप में एक वर्ष पूरा कर लिया है और इस छोटी अवधि के दौरान, जो चीजें वर्षों से लंबित थीं, उन्हें अधिकारियों द्वारा पूर्ण सहयोग से निष्पादित किया गया है। उनके कार्यभार ग्रहण करने से पहले, विभिन्न पदों पर प्रति वर्ष औसत भर्ती केवल 5000 थी, जबकि अब यह 17000 है। इसके अलावा, यमुना सफाई परियोजना मे पिछले एक वर्ष में ही महत्वपूर्ण प्रगति की गयी है जबकि यह पिछले 28 वर्षों से माननीय सर्वोच्च न्यायालय और 08 वर्षों से माननीय एनजीटी की निरंतर निगरानी में रही हैं।

माननीय उपराज्यपाल ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि इन कार्यों को केवल इन सिविल सेवकों द्वारा निष्पादित किया गया है और मुझे विश्वास है कि सकारात्मक सोच के साथ, सिविल सेवक दिल्ली के नागरिकों के लिए अपनी सर्वश्रेष्ठ सेवाएं प्रदान कर सकते हैं।

अंत में माननीय उपराज्यपाल ने आग्रह किया कि अधिकारी स्वतंत्र, निष्पक्ष और न्यायपूर्ण तरीके से नियमों के अनुसार समाज के सेवक के रूप में काम करें न कि एक प्राधिकारी के रूप में और हमेशा नागरिक केंद्रित रवैया रखें।

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