माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू की, जिसमें पर्यावरण के अनुकूल स्वच्छ खाना पकाने का ईंधन उपलब्ध कराया गया. इस योजना का उद्देश्य विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को पारंपरिक ईंधन के इस्तेमाल से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरों से बचाना था।जब पूरी दुनिया कोविड-19 की चपेट में आई, सरकार ने पीएमयूवाई परिवारों, जो सबसे गरीब लोग हैं, का समर्थन करने के लिए PMGKP के तहत प्रत्येक पीएमयूवाई परिवार को तीन मुफ्त रिफिल देने की घोषणा की। PMAY लाभार्थियों को योजना के दौरान 14.17 करोड़ रिफिल फ्री में दिए गए।प्री-कोविड वर्ष 2019-20, यानी वित्त वर्ष 2022–2023 के आंकड़ों के आधार पर, प्रति व्यक्ति खपत में वृद्धि हुई है, जो 3.01 से 3.71 हो गई है। उज्ज्वला योजना को मई 2016 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य गरीब परिवारों की प्रमुख स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन एलपीजी तक पहुंच में सुधार लाना था। योजना का लक्ष्य गरीब परिवारों को पहला कदम उठाने में मदद करना है और स्वच्छता से खाना पकाने की दिशा में व्यवहारिक बदलाव लाना है।
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में व्यवहारिक परिवर्तन लाने के लिए बहुत समय और निरंतर कोशिश की जरूरत होगी। पीएमयूवाई ने लाखों गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देकर प्रदूषण मुक्त और स्वस्थ जीवन की दिशा में उनके पहले कदम में सफलतापूर्वक मदद की है और एमओपी और एनजी के तहत तेल विपणन कंपनियां एलपीजी पंचायतों और सार्वजनिक आउटरीच जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से व्यवहार बदलने की दिशा में अपने प्रयास जारी रखते हैं।
२०२२-२३ के दौरान ८८% गरीब PMUY परिवारों ने रिफिल लिया था। रिफिल लेने वाले PMUY लाभार्थी 2017-18 में 3 करोड़ से बढ़कर 2018-19 में 6 करोड़, 2019-20 में 6.5 करोड़, 2020-21 में 8 करोड़, 2021-22 में 8.05 करोड़ और 2022-23 में 8.41 करोड़ हो गए।इसके अलावा, पीएमयूवाई उपभोक्ताओं की प्रति व्यक्ति खपत में पिछले पांच वर्षों में २४ प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो इस योजना द्वारा लाई गई सद्भावना का प्रमाण है।PMAY लाभार्थियों द्वारा लिया गया कुल रिफिल 2018-19 में 16 करोड़ से 2022–23 में 35 करोड़ हो गया, जो PMAY परिवारों के अस्वच्छ रसोई से उज्ज्वल भविष्य की ओर स्थायी बदलाव में नियमित और निरंतर वृद्धि को दर्शाता है।